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Monday, October 14, 2013

ज्योतिष द्वारा सटीक परिणाम प्राप्ति के कुछ अचूक सूत्र

ज्योतिष द्वारा सटीक परिणाम प्राप्ति के कुछ अचूक सूत्र


निश्चय ही ज्योतिष प्रज्ञा व साधना के प्रभाव से सत्य फल कथन कहता है, लेकिन यदि उसमे सही व उचित गणितीय सूत्रों का सावधानी पूर्वक प्रयोग किया जाए तो फलित की सत्यता का % बढ़ता ही है. अब साधना पक्ष को दृढ़ बनाना सभी के लिए तो संभव नही है पर हम गणित का सही प्रयोग तो कर ही सकते है. प्राचीन काल से वर्तमान समय तक हमारा देश दिव्य विद्वानों से भरा पूरा रहा है. आज भी बहुत से ऐसे विद्वान है जिन्होने ज्योतिषीय गणित को नवीन सूत्र देकर नवीन जीवन दिया है . यदि कुंडली के द्वारा फलित बताते समय कुछ सूत्रों का ध्यान रखा जाए तो हम सही फल कथन कर सकते हैं.

1. यथा संभव कई प्रकार की दशाओं का अभ्यास करना चाहिए जिससे फल कथन मे सटीकता आ सके

2 दशा स्वामी की स्थिति का जन्म कुंडली और नवमांश कुंडली दोनो मे बारीकी से निरीक्षण करना चाहिए.

3 इसी प्रकार जन्म कुंडली के प्रत्येक अंशकाण का अवलोकन करना चाहिए: जैसे- कॅरियर के लिए दशमांश कुंडली का, संपत्ति के लिए चतुर्थांश का,संतान के लिए सप्तांश का

4.प्रत्येक घटना का तीनो वर्ग कुंडलियों से अवलोकन करना चाहिए.

5.विंसोत्तरी दशा से परिणामो के बारे मे बारीकी से जानने के लिए शुरू से ही महादशा, अंतरदशा, और प्रत्यांतर दशा,सूक्ष्म और प्राण दशा तक पहुंचे.

6.यह देखे की महादशा नाथ तथा अंतरदशा नाथ परस्पर कैसे और किस स्थिति मे हैं.यदि वे परस्पर केन्द्र या त्रिकोण मे हैं तो यह अनुकूल स्थिति है. इसी प्रकार वे 2-12 या 6-8 मे हो तो यहा स्थिति बाधाओं का ध्योतक है. पर बारीकी से ही अवलोकन करना चाहिए.

7.दशानाथ किन किन भाव का अधिपति है और उन भाव का स्वामी होने के कारण वे कैसे फल दे सकते हैं.

8.विंसोत्तरी दशा के अतिरिक्त अन्या दशा का भी प्रयोग कर के देखना चाहिए की वैसे ही परिणाम हैं या नही. जहा तक हो सके तो योगिनी दशा का प्रयोग करें. यह सरल भी है और गणना भी शीघ्र होती है.

9.इन सब परिणामो की चंद्र कुंडली से भी जाँच करना चाहिए.

10.आख़िर मे गोचर का प्रयोग करना चाहिए, तथा सर्वाष्टक का प्रयोग ज़रूर करें.

11.कई बार दो लोगो की जन्मकुंडली में समय,स्थल और तिथि सामान रहती है तब उसकी शुद्धिकरण हेतु, गर्भ कुंडली,बीज कुंडली और पद्मांश काल का प्रयोग करें, इनके प्रयोग से गणितीय ज्योतिष के द्वारा परिणाम प्राप्ति में ९०% तक सफलता पायी जा सकती है .

इस विषय पर यह चर्चा आगे भी जारी रहेगी , हमारा दायित्व है की भ्रांतियों का निवारण कर हम नवीन व सरल विचार धारा से विषय का सरलीकरण करे और लाभ उठाएँ.

सरिता कुलकर्णी

Monday, September 2, 2013

Married life and Mangal grah


आपका वैवाहिक जीवन और मंगल गृह

मंगल गृह को लेकर वैवाहिक जीवन मे अनेक प्रकार कि भ्रान्तिया फ़ैलि हुइ है।वर और वधू कि कुंडली मे यदि लग्न, चतुर्थ्, सप्तम, अष्टम एवं द्वादश भाव मे मंगल हो तो कुण्डली मंगली होती है। यदि वर या वधू कि कुण्डली मे उपर दोष कथित स्थानो मे केवल एक कुण्डली मे दोष होगा तो दुसरा साथी के जीवन के जीवन का भय हो जायेगा। मन्गली दोष को लग्न / चन्द्र तथा शुक्र तीनो स्थानो से देखना चाहिये ऐसा शास्त्रो मे निर्देश है। चुंकि पाञ्च स्थानो मे मंगल के रेह्ने के कुछः दोष होता है अतः यदि तीनो स्थानो (लग्न, चन्द्र, शुक्र) से देखा जाये तो ५ * ३ = १५ स्थानो पर मंगल दोष बनता है।

लग्न चक्र मे १२ भाव ही होते है और मंगल १५ भावो (स्थानो मे दोषपूर्ण है व इसका अर्थ यह होगा कि संसार मे शायद ही ऐसी कोइ कुण्डली मिले जो मंगल दोष से रहित हो। इसी कारण "एसट्रोलोजिकल मेगझिन" के संपादक डा बि वि रमन ने लिखा है कि मांगलि दोष का हौवा न जाने कितने ऐसे विवाह् को जो सुखमय दाम्पत्य जीवन मे परिवर्तित होते, उन्हे नष्ट कर देता है।

महर्षि पाराशर के अनुसार गृहो का शुभाशुभ जानने के दो आधार है।
पेह्ला नैसर्गिक शुभ या अशुभ जैसे शनि, मंगल, राहु इत्यादि नैसर्गिक शुभ गृह है।
दुसरा आधार शुभता तथा अशुभता का भावधिपत्य द्वारा बताया गया है जैसे केन्द्र तथा त्रिकोन के स्वामि शुभ तथा छटे, आठवे, बारह्वे भाव के स्वामि अशुभ होते है। इसका स्पष्ठ अर्थ है कि परिस्थितिवश एक ही गृह चाहे नैसर्गिक या अशुभ ही भावातिपत्य कि परिस्थिति के अनुसार वह शुभ या अशुभ हो जाते है।

अतः वर या कन्या का लग्न क्या है उसके लिये मंगल ग्रह है शुभ या अशुभ यह भूलकर पांच स्थानों में से किसी एक स्थान पर मंगल को देखकर, मंगली दोष कि घोषणा कर देना ज्योतिष के मूलभूत सिद्धातों के अवहेलना तथा ज्योतिष शास्त्र को बदनाम करना है।

तात्पर्य यह कदापि नही है मंगल दाम्पत्य जीवन के लिये हानिकारक नही होता। मंगल के साथ् शनि, राहु, केतु, सूर्य भी हानिकारक होते है। अशुभ भावों के स्वामि होकर बृहस्पति, शुक्र, चन्द्र इत्यादि भी यदि सप्तम भाव मे बैठ जाये तो व भी विघटनकारी होते है। वास्तव मे सप्तम या अष्टम भाव मे अशुभ ग्रह कि स्थिति हानिकारक है और यह ज्योतिष के सिद्धान्त के अनुकूल भी है। यहि कारण है कि दक्षिण भारत के ज्योतिषि वर, कन्या कि कुण्डली मे सप्तम अष्टम 'शुद्धम' को श्रेष्ठ मानते है।

महर्षि पतंजलि ने योग दर्शन के 'साधन पाद' मे लिखा है ततः विपाको जाती अयुर्भोगाः अर्थात पूर्व जन्म के कर्मो के अनुसार प्राणी कि 'ततः विपाको जाति अयुर्भोगाः' अर्थात पूर्व जन्म के कर्मो के अनुसार प्राणी कि जाति (योनि जैसे मनुष्य योनि, पशु योनि, कीट योनि आदि) आयु और सुख-दुख प्राप्त होते है। ये गर्भ से ही निर्धारित होते है ज्योतिष मे सभी आचार्यो का स्पष्टः निर्देश है कि भविष्य बताने से पेहले आयु का विचार अवश्य कर लिया जाना चाहिये। अगर यह धारणा सही है कि पाति या पत्नी का मंगल एक-दुसरे को मार देता है तो एक समस्या उत्पन्न होगी, यदि कोइ अविवाहित व्यक्ति अपनी आयु के बारे मे जानना चाहे तो क्या ज्योतिषी उस यजमान कि आयु बताने के लिये यह कहेगा कि पेहले शादि कर लो फिर अपनी पत्नी कि कुण्डली लेकर आना तो आयु बतायेंगे?

ज्योतिषियो मे एक विचित्र सिद्धान्त प्रचलित है,वह यह कि यदि वर और कन्या मे से एक कि कुण्डली मंगली है और यदि दुसरे कि भी कुण्डली मे मंगल दोष है तो मांगलि का दोष दूर हो जाता है। यह कौन सा सिद्धान्त है शायद यह बात 'विषस्य विषमौषधम' आयुर्वेद के सिद्धान्त पर गढ ली गयी है। किन्तु आयुर्वेद विज्ञान के सिद्धान्त को ज्योतिष विज्ञान मे लागु करना वैसा ही है जैसे इनजीनियरिंग के सिद्धान्तों को मेदिचाल् साइंस मे थोप्ने का प्रयास।

ज्योतिष एक महाविज्ञान है हार विज्ञान मे जैसे सिद्धान्त होते है वैसे ही ज्योतिष के भी सिद्धान्त है। ज्योतिषीय समीक्षा के समक्ष उन सिद्धान्तों कि अवहेलना कर,मनमानि करने से ज्योतिष विज्ञान नही रुढिवाद हो जायेगा। यहि लांक्षन ज्योतिष पर लग रहा है अतः प्रत्येक विद्वान् ज्योतिषी का कर्तव्य है कि वह ज्योतिष से रुढिवादी लोगों का कोपभाजन बनना पडे। केहने का तात्पर्य यह है कि वर कन्या कि कुण्डली का मेलापक परम् आवश्यक है। मेलापक के अष्टकूट का वैज्ञानिक आधार है इस से वर कन्या का शारीरिक, मानसिक, भौतिक, आध्यात्मिक, संतान संबन्धी तालमेल की समीक्षा हो जाति है। इसके अलावा ग्रहो के आधार पर कन्या के आचरन कि समीक्षा, आयु समीक्षा, संतान भाव कि समीक्षा, क्षेत्र स्फ़ुट और बीज स्फ़ुट की समीक्ष, धन और भाग्य भाव की समीक्षा भी मेलापक मे तिहित है।

सरिता कुलकर्णी

Wednesday, May 29, 2013

राशी शृंखला - कुम्भ राशी / भाग 12

राशी शृंखला - कुम्भ राशी / भाग 12

कुम्भ राशी वायु तत्व की पुरुष राशी है। स्थिर राशि।
राशी का स्वामि - शनि
बोध चिन्ह : एक लम्बा दुबला पतला मनुष्य अपने बाए हाथमे घडा लिए हुए खड़ा है तथा दाहिना हाथ उस पर रखा है और पृष्ठ भूमि में बहता हुआ पानी.
अक्षर - जा जी भो खि खु खे खो ग गी


वरिष्ठ मनीषियों और ज्योतिषीयो ने कहा है की अध्यात्म और शास्त्र का मिलाप अर्थात कुम्भ राशि. शनि गृह की गाम्भीर्यता, परिपक्वता, लगन इनमे स्वतः ही होती है. शनि का तत्त्व ज्ञान, उसकी नीति इनमे मूलभूत रूप से ही समाई हुई होती है. एहिक सुखो के पीछे ना भागने वाले कुम्भ राशि के व्यक्ति संशोधक वृत्ति के होते है उतने ही चिकित्सक और अकेले रहने वालो में से हो सकते है. इन लोगो की वृत्ति थोड़ी तपस्वी सामान होती है. ये व्यक्ति दुसरो के बाह्य गुणों पर ना ध्यान दे के उनके आतंरिक गुणों को देखते है और समझते है. इनका ज्ञान परिपूर्ण होता है. अधुरा ज्ञान अर्जन करना इनके स्वभाव में नहीं जैसे मान लीजिये किसी विषय को समझने की जिज्ञासा करेंगे तो जब तक वह ज्ञान पूर्ण रूप से आत्मसात ना हो जाये तब तक पीछा नहीं छोड़ेंगे.


एक बहुचर्चित कहावत इनके लिए प्रचलित है - कहावत पूरी याद तो नहीं लेकिन भावार्थ पूर्ण रूप से आपके समक्ष रखने का प्रयत्न करती हु. " दो अंडे दे देना और उसी को ऊबते बैठना ये इन्हें नहीं जम सकता, ये तो आकाश में ऊँची चलाम्ग लगाने वालो में है."

इनमे असीमित विद्वत्ता होती है. किसी भी बात को गहराई में समझने की ग्राह्य शक्ति दुरो की तुलना में बहुत होती है और इस गहराई तक उतारने का धर्य भी उतना ही ज्यादा होता है. कोई भी बात सहज ही स्वीकार नहीं करेंगे जब तक उसका तथ्य समझ ना आजाये. कुम्भ राशि के व्यक्ति कम घुलते मिलते है अकेले रहकर प्रकृति को समझना इन्हें ज्यादा भाता है. अपनी अलग थलग निराली दुनिया में रहते है. अब तक के अधिकतर वैज्ञानिक संशोधक इसी राशि के हुए है. दोगुलेपन से योथोचित दूर रहते है फिर भी इनकी मित्र की संख्या कम नहीं होती लेकिन सच्चे मित्र इक्का दुक्का ही होते है. ऐसा बहुत जगह पढ़ा गया है की इस राशि के व्यक्ति जरा संकी किस्म के हो सकते है.

मित्रता स्थापित करने में ये कुशल होते है लेकिन इन्हें हर बार गलत समझ लिया जाता है और इस कारन मित्र संख्या कम होती है. एक और कारण है जो इनकी मित्र संख्या कम करता है वो है अपनी ही धून में रहने की आदत. जो हर सामान्य व्यक्ति को किसी न किसी व्यक्ति को जरुरत पड़ती ही है बात करने के लिए लेकिन ये बहुत अछे से जानते है की अकेलापन क्या कुछ नहीं दे सकता. और यही आदत इनकी खटक जाती है दुसरो में. किसी की कुंडली में जब कुम्भ राशि बिगड़ी हुई होती है तो ये बला के निर्बुद्ध भी हो सकते है. कुंडली में अगर इस राशि का हर्शल गृह हो तो बहुत तेज बुद्धि वाले जातक बन जाते है. हर्षल टेकनोलोजी और अफाट बुद्धिमत्ता का ग्रह है और कुम्भ, वृश्चिक जैसे राशियों में ये बहुत अछे फल देते हुए दिखाई दिए है.

कुम्भ राशि के व्यक्ति होश्यार होते है लेकिन इनका व्यक्तिमत्व सर्वसामान्य होता है. किसी के आगे आगे करना इन्हें बिलकुल पसंद नहीं और ये करते भी नहीं. दुसरो का वर्चस्व बहुदा मान्य ही नहीं कर पाते. कुम्भ राशि के व्यक्ति सकारात्मक भाव के होते है. घर संसार बाल बच्चे इनमे ज्यादा रम नही पाते. अपने लक्ष्य को पाने की गहरी इच्छा होती है और अगर आलस्य का त्याग करे तो प्राप्त भी कर लेते है. जीवन में कठिन से कठिन परिस्थितियों को पार कर जाते है हार मान लेना इन्होने सीखा ही नहीं. प्रत्येक लग्न राशि और जन्मा राशियो का जोड़ अलग अलग होता है. हर एक के साथ दूसरी राशि का रूप अलग ढंग से सामने आता है.


शारीरिक वर्णन :- कुम्भ लग्न के जातक अधिकतर ऊँचे, लम्बे और पतले होते है. सुन्दर आकर्षक चेहरा, छोटी पर पैनी आंखे, त्वचा रुखी, सर का पिछला भाग बड़ा, खुद के तन्द्रा में रहने वाले, शरीर मांसल, कद लम्बा छोटा हो सकता है, काली भौहे, ठीक अनुपात में होंठ, चौडाई लिए हुए उठा हुआ नाक, एक विशेष प्रकार की चमक चेहरे पर और आखो में देखि जा सकती है.

कार्यक्षेत्र :- सफल ज्योतिष, वैज्ञानिक, संशोधन कार्य, तेल व्यापार, विज्ञान एवं वाणिज्य शाखा, सी ए, सी एस, लेखक, रेशीम, कांच, नयलोंन, सिंथेटिक व्यवसाय, इम्पोर्ट एक्सपोर्ट, यन्त्र दुरुस्ती, डाक्टर, प्रोफ़ेसर, अध्यापक, सफल संत, सफल उपदेशक.
कुम्भ राशि की सत्ता शरीर के पिंडलियों पर, रक्ताभिसरण, त्वचा रोग.


सरिता कुलकर्णी


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                                  Secrets series of Zodiac sign – Aquarius / Part 11

The Aquarius / Air Element / Male sign / Triplicity of Stable nature
Lord of the Sign – Saturn
Symbol – A man holding an earthen pot deluged with water by his right hand and the background is full of water.


Our ancient Astrologers had been described that the combination of Spirituality and knowledge would be defined as the zodiac sign Aquarius. The supreme knowledge and manner of conducting it is the prime quality of planet Saturn is already inbuilt in these Aquarians. They may not like running after materialistic happiness as their logical mindset doesn't allowed them to act in such manner. So they are loners and they enjoy this state too. The best part of this sign is they have a habit of noticing the internal qualities instead of external one of the people who come in their contact. They are bowed with complete knowledge. Seeking for wholesome picture is their featured quality. We may say good or bad but they have habit of seeking knowledge until they don't get whole picture of they run towards it only. Because of this habit many times they are termed to be irresponsible towards their materialistic world.

A quite famous saying is said for Aquarians i.e "just giving two eggs in nest and sheer nesting them and spending life in such manner is not aquarians cup of tea". Basically they are not meant for living just next normal life as they have much more explorable things to do in their life.

They have tremendous erudition. Never accepts anything easily until they don't find it as logical. Well it has been noticed that this sign doesn't get gel up soon with others. Rather they like to stay at nature's lap. Still their friend list is not small but true friends figures countable on fingers. At so many times elderly astrologers have mentioned that Aquarians are psycho and short tempered which has been found correct also. But their is a solid reason behind it. As they have the intellectual level more as compared to others. They know how to channelize it in later point of time. And this habit of finding reasons with logical reasoning might make them abstract from others. In any one's horoscope if this sign is damaged like filled with enemy planet or its eyesight then they become extreme level of stupid. It simply means if the horo skelton is good this sign goes to its extreme level.


The Aquarians are so intellectual and very sharp mind and even memory too but their personality is seen almost average most of the times. But many are found smart in both ways. Well they really hate to pull of their head in front of others and they don't do it also. Sometimes they cant tolerate the dominance of others. By the way they so positive by nature. They may have less involvement in domestic affairs like partner children and their related matters. They have intense desire towards their goal. And if they sacrifice their laziness they really can achieve it. They come out successfully after too much striving in their lives. So they hardly accepts their failure. In literal sense they fight back every situation. And planet Uranus makes their this quality more strong if placed in this sign. See every respective combination of moon sign and ascendant sign displays different buch of quality. Its all about the permutation combination of these signs.


Physical Attributes - When this sign is placed in first house the person may look slim, heighted might be low or high, moderate eyes, dry skin, back area of head is broad, always lived in trance, healthy body, black eyebrows, well shaped lips, broadened nose and a special glow in eyes and face always reflects on their face.

Area of Filed :- Successful Astrologer, Scientist, Researcher, oil business, science and commerce field, doctors, a high level saint, preacher, professor, teacher, CA, CS, writer, business in silk, nylon, synthetic, import export, tecnician, This sign resides on the calf area of body, Blood circulation, skin related.

Sarita S Kulkarni

Tuesday, May 14, 2013

राशी शृंखला - मकर राशी / भाग 11


राशी शृंखला - मकर राशी / भाग 11

मकर राशी पृथ्वी तत्व की स्त्री राशी है। चर राशि।
राशी का स्वामि - शनि
बोध चिन्ह : मगरमच्छ
अक्षर - जा जी भो खि खु खे खो ग गी


मकर का दुसरा नाम है "मगर" अर्थात मगरमच्छ। कुछ जगह् यह चित्र है जहा मगर पानी से आधी बाहर निकलि हुइ और आधी पानी के अन्दर खुले मुह खोले के बैठी हुई है। अगर हम ध्यान से इस पंक्ति को पढे तो कुछ बाते ध्यान मे आयेंगी जैसे ऐसी मगर जो अपने आप को दो तरह् के पर्यावरन मे अनुकूल बनाये हुए है जलीय और वायवीय। वैसे भी इस तथ्य से हम वकिफ़् है की मगर किसी भी परिस्थिति मे अपने आप को ढाल लेते है। अब एक बात पर गौर फ़र्माते है वो ये इस चित्र मे मगर बाहर मुह खोले हुए है। इसके कैइ अर्थ हो सकते है जैसे वह शिकार का इन्तेजार कर रही है। या बाहर सूर्य की उर्जा को ग्रहन कर रहि है या सही समय के इन्तेजार मे है की शिकार को किस समय दबोच ले और एक बात ये भी सोचि जा सकती है की मुह खोले हुए इधर उधर बडे ध्यान से देख् कर निरीक्षन कर रहि है। अब जैसे इस चित्र का बारिकी से निरीक्षन करने पर जो बिन्दु हमने मुख्य रूप से देखे है वहि बिन्दु मकर के जातको पर मे देखे जा सकते है।


और कुछ जगह् ऐसा चित्र है जहा उपर का शरीर हीरण के समान और निचला भाग मगर के समान होता है। दोनो का मिलाजुला स्वभाव हम इन्मे देख् सकते है। ऊपरी हिस्सा हिरन का कोमलता दर्शता है और निचला मगर रूक्षता। यहि सारे गुणो से ओत प्रोत होते है मकर लग्न वाले जातक। मकर जातको को सौन्दर्य दृष्टि उत्तम होती है। मकर लग्न के जातक बडे ही रहस्यमय होते है। अगर सही मायिने मे देखे तो मकर राशी संसार सक्त होती है और संसारिक जीवन भली प्रकार से व्यतीत करते है। लेकिन इनके जीवन कोइ भी घटना सरल रूप से नही होती बहुत् कष्ट उठने पडते अपने अभीष्ट को प्राप्त करने के लिये।

सदेव किसी भी चिज को प्राप्त करने के लिये अथंग प्रयत्नों के कारण ये जरा उद्विग्न या हताश स्वभाव के भी हो सकते है। इन्हे जीवन मे शनि ग्रह का अनुभव बहु आता है। शनि ग्रह विलम्ब के लिये भी जाने जाते है। इन्हे लालसा तो बहुत् होती है। लेकिन आकांक्षाये पूर्ण ना होने के कारण थोडा सा उदासीनता की तरफ़् रुख हो सकता है। इसी कारण मंगल ग्रह मकर मे उच्च रशीस्तः माने गया है। क्युकी मंगल उस्फ़ुर्ति प्रदान करते है। स्त्री तत्व एवं प्रथ्वी तत्व प्रधान होने के कारण उत्तम व्यावहारिक दृष्टि होती है। ये सदेव गुप्त प्रच्छन्न बने रेहने मे आस्था रखते है। ऐसे व्यक्ति संधिस्तः भी कहे जा सकते है।

सर्वश्रेष्ठ गुण यह है की ये एक ही समय मे अनेक क्रतियो के बारे मे विचार करते है और उसे कार्यरुप् मे परिणत कर सफ़ल् भी होते है। इनकी योजना एकदम पुख्ता होती है। ये धर्मभीरु व सामाजिक रीति रिवाजो को मानते है ऐसा काहा जा सकता है। वरिष्ट ज्योतिशीयो ने इनके लिये काहा है की इनकी की हुइ अध्यात्मिक्ता अन्तःप्रेरणा से नही वरन अन्तः नैराश्य से यी हुइ होती है। क्युकी भरपूर कष्ट करने के उपरान्त ही इन्हे फ़ल् मिलते है और तब् तक उस फ़ल् को उभोग करने का उत्साह् इनका ठंडा हो जाता है। इन्हे खरीदारी करना बहुत् भात है और भाव्तोल् बहुत् अच्हे रूप से कर लेते है।

शारीरिक वरन - इस राशी के जातको का वर्णन करते वक्त् जातक कृश शरीर, उंचे लम्बे एवं गहरा गेहुअ रंग, बाकी शरीर अनुपात मे एवान सुन्दर होता होता है। ज्योतिष ग्रन्थों मे इनके बारे मे स्पष्ट किया है --
मृगवदने लग्नस्थे कृशगात्रो भीरुरेण वक्तत्रश्च।
वात व्याधिभिरार्तः प्रदीप्ततूङ् गोग्रनासः स्यात् ।।
लघुसत्वोमित तनयो रोमचितः पाणिपाद विस्तीर्ण
आचार गुजेर्हीनस्तृपार्त रामाभिराम मतिः।।
अर्थात ऐसा व्यक्ति कृश, भीरु, हरिन सदृश्य मुख वाला,वात रोगी, उच्चनाक वाला एवं अल्प बली होता है। ऐसा जातक विस्तृत हांथ पैर वाला आचार गुणो से हीन एवं युवतियो का प्रीय होता है।
ऐसे व्यक्तियो का सिर थोडा बडा होता है। आंखे पैनी और चेहरा लम्बाई की अपेक्षा चौडा होता है।

कार्यक्षेत्र : लकडी का व्यवसाय, मण्डप सजावत, डेकोरेश, कार्यक्रम व्यवस्थापक, पेकेजिंग, वटर प्रुफ़िम्ग, ठेकेदार, परिरक्षक, पुराने वस्तुए के डीलर।
मकर राशी शरीर के घुटनों पर, कमर का काटा, हार्ट् वाल्स।


सरिता कुलकर्णी

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Secrets series of Zodiac sign – Capricorn / Part 11


The Capricorn / Earth Element / Female sign / Triplicity of Movable nature
Lord of the Sign – Saturn
Symbol – A crocodile

The Capricorn sign denotes crocodile. Some of the Astrologers describes this symbol as the crocodile whose partial body is in water and partial on land and mouth is opened. If we observe this image minutely we can interpret that this animal feature can survive in both type of the environment. Anyways we are well aware of this fact that crocodiles are great survivor. They can live in any type of condition. Now we will point out one more thing i.e. that his mouth is opened. This can be interpreted in many ways like may be he is waiting for hunting or absorbing the sun energy from environment or may be in right opportunity. One more thing that as eyes and mouth is opened so minutely observing the outer world. Now whatever points we have gathered from this description are completely applicable on the Capris.

Now lets see the other view, where in the upper body is of deer and the lower is of crocodile. so the both mixture is presented as they are exactly opposite to each other. Because deer signifies delicacy and crocodile signifies strength and power. So again we can find the same qualities in Capris also. Capricorns have sharp eyesight of observing beauty. They are very mysterious. In real sense this sign likes to live this worldly affairs at fullest but couldn't get it easily. They have to take double effort in comparisons of others.

So forever efforts makes them little bit irresistible and depressed. So they really experiences the Saturn waves in their lives. As Planet Saturn is also known as for delay. They may be acts as greedily and who don't have? Every one wish to have. So due to continuous failures they became depressed by nature. That's the reason Mars do well in this sign and known as his best sign. Because Mars denotes energy. Well due to female and earth element they are very practical by nature. They always remain to be mysterious as its their basic personality trait. They seems to be opportunist.

Their best quality is they are versatile and can handle many arts at same time and can take it to completeness also. They are known as for their best planners. They afraid of god and follow traditional values. Many elder astrologers have noticed that their spiritualism is not the inner one rather that's came from the inner non-satisfactions. It happens because after hell hard work also they didn't get desired results on time and when they realized the fruits their thirst already gets away. Well they like to do shopping and can bargain very nicely.

Physical Attributes :- Well this has been defined as the person who have wheatish complextion, balanced body and beautiful. In ancient granthas it has been explained that -
mrugvadane lagnasthe krushgaatro bheeruren vaktatrashch
vaath vyaadhibhiraartah pradeepttud gogrnaasah syaat
laghusatvaomit tanayo romachitah paanipaad visteerna
aachaar gujeheernstrupaart raamaabhiraam matih

Means the the person who have the black combination, pusillanimous, deer faced, high nosed, airy diseased and lack of strength. Thus such type of person have spread ed hands and legs and loved one of opposite sex. Capricorns persons have big head, Sharp eyes and broad face.

Area of field :- Furniture, variety of decorators, event management, packaging, water proofing, preservatives, dealer in old materials, all class iv services, clerical job, finance mechanical engineer, commerce, fabrications and grill makers and all iron related work.

Sarita S Kulkarni
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Sunday, April 28, 2013

राशी शृंखला - धनु राशी / भाग 10


राशी शृंखला - धनु राशी / भाग 10

धनु राशी अग्नि तत्व की पुरुष राशी है।
द्विस्वभाव राशि।
राशी का स्वामि - गुरु
बोध चिन्ह : अर्ध अश्वाकृति धनुर्धारी पुरुष
अक्षर - भ, ध, फ, ध, य

धनु राशि के बारे मे लिखते हुए काहा है की यदि हम रात मे अगर आकाश मंडल को देखते है तो निहारिका पुंज से चित्र उभर कर सामने आता है वह ऐसा लगता है, मानो अश्व के सदृश्य जंघा वाला मनुष्य धनुष पर बाण चढाए हुए हुए खडा हु और लक्ष्य साधन कर रहा हो। संस्कृत ज्योतिष ग्रंथों मे कहा गया है, धनुश्च से धनुः पश्चाच्छरीरो हयः अर्थात शरीर का निम्न भाग अश्व के समान हो।

आज के युग मे सबसे बेहतर तरीके से जीवन जीने वाली ये धनु राशी के व्यक्तियो जीव्हा पर सरस्वती और बाहु मे रण चण्डी स्वतह् विद्यमान होती है। धनु राशी के व्यक्ति बुद्धिमान, आक्रामक, धाडसि वा कर्तुत्ववान होते है। मनुष्यता व पशुता का मध्य मेल इस राशी मे पाया जाता है। इसका बोध चिन्ह भी यहि दर्शाता है। इस राशी के व्यक्तियो मे बुद्धिमत्ता, विवेक, शौर्य इन तीनो का उत्तम मिलाप होता है। और इसी कारण समाज को ऐसे व्यक्तियो की अत्यन्त आवश्यकता है। दुसरे शब्दो मे ऐसा भी काहा जा सकता है की यहि वो राशी है जो समाज मे जगने लायक है। थोडी से स्वार्थि किस्म के धनु राशी के व्यक्ती अपना फ़ायदा तो देखते ही देखते है साथ् ही साथ् दूसरो का फ़ायदा भी करवाते है। और यहि गुण इन्हे आगे ले जाता है। इनको समाज सेवा की बहुत् रुचि होती है लेकिन इन्होने की हुइ समाज सेवा खुद का भरन पोषन करके ही की हुइ रहती है। ना ये मांगना पसंद करते है ना कोइ मांगे इन्हे भाता है।

धनु राशी के व्यक्तई क्रति प्रिय होते है। ये बहुत् फ़ुर्तिले, चुस्त, कार्य कुशल, दक्ष एवं निरन्तर अपने लक्ष्य की ओर चलने वाले होते है। ऐसे व्यक्तियो के स्वभाव और व्यवहार से कुछः ज्यादा ही दार्शनिक होते है। इनकी दार्शनिकता अनुभवो और पाठन कार्यो से आयी हुइ होती है। किसी भी प्रसंग से या संबंधो से गःरी आत्मीयता नही रखते, अपितु यथासंभव अपने आपको बचाये रखने की कोशिश करते है। अगर देखा जाये तो ब्रह्म, जीव, माया, आत्मा परमात्मा पर सहज ही बोलते लेते है। इनके पास शौर्य और क्षत्रिय व्रत्ति होती है। ये व्यक्ति किसी से घबराते नही। यह राशी द्विस्वभाव होने पर भी निश्चय किया हुआ प्रण पुरा करके ही छोडते है। धनु राशी के व्यक्ति आने वाली घटनाओ का अनुमान अचुक लगाते है।

धनु राशी की सबसे विशेष बात यह है की इन पर गुरु का वरध हस्त होता है इसलिये इह्ने इनकी अपेक्षा के मुताबिक यश मिलता है लेकिन बेजोड मेहनत के साथ् केहना ज्यादा उचित होगा। धनु राशी के व्यक्ति बहुत् ही मूडी होते है। समय के बडे पाबंद होते है। समय को ये विशेष महत्व देते है। और चाहते है की बाकी भी समय को महत्व दे। किसी भी दुखी की मदद करना ये अपना कर्तव्य समझते है और कयी बार तो ये अपने हितो के प्रति भी उदासीन से हो जाते है। परिश्रम मे विश्वास करते है और आराम कम से कम करते है। दिखावा करना इन्हे बिल्कुल पसंद नही आता। सादगी प्रिय होते है। इनके जीवन का ध्येय 'सादा जीवन उच्च विचार'।

शारीरिक वर्णन :- धनु लग्न के जातक स्थुलकाय, उच्च और विस्तरत ललाट, जरा दबी सी नाक, मोटे होंठो और सुनहरे बाल। आंखे पैनी होने के कारण भाप्ने की इनमे गजब् की शक्ति होती है। दूसरो की मन की बात ये बहुत् जल्दी समझ जाते है।

कार्यक्षेत्र :- दर्शन शास्त्र के प्रोफ़ेसर्, धार्मिक महान्त, उच्च कोटि के संत, होल्सेल् मार्केट, पोरोहित्य, खिलाडू, खेल प्रशीक्षक, विविध संस्थाओ के अधिकारी, प्राध्यापक, कुलगुरु, शिक्षक, कलेच्तर, दलाली, सट्टा बाजारी।

धनु राशी शरीर मे लिवर, जंघा, गाउत, हिप् बोन्स, पार्श्व भाग, वात पर अमल करती है।


सरिता कुलकर्णी
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Secrets Series of Zodiac sign – Sagittarius / Part 10


The Sagittarius / Fire Element / male sign / Triplicity of Dual nature

Lord of the Sign – Jupiter

Symbol – The signs symbolized by four-footed creature holding the bow and arrow known as Archer and noticeable part the partial look is human and rest animal. The front part display human body and back is of animal form. Its a perfect and balanced combination of human and animal.

While explaining about the zodiac sign Sagittarius Sadgurudev told, that when we observe the collection of stars in the sky we see the picture where in half human and half animal image comes out. It seems to be an image of a human having his partial body of horse and holding a bow and arrow with ready position of attack. In sanskrit jyotish granthas it has been mentioned, "Dhanushch se dhanuh paschaachchhreero hayah" means partial body refelcts as horse body.

In today's time the zodiac sign which is known as most survivable sign among all the rest one. Literally their tongue is blessed with goddess Sarasvati and physique with the power of Ranchandi. The sagittarians are so intelligent, aggressive, courageous and capable enough. we can see the perfect combination of humanity and bestiality. basically if we observe minutely the symbol also signifies the same. These people are superb package of intellectualism, consciousness and bravery. That's the reason they are utterly needed in society. In other words it can be said this is the one of the best sign which have the perfect combination to run the society in best form.

Well they are little bit self centered, who first see their benefits and then others. But along with doing such acts they always keep other's concern also in their mind. And this quality takes them to the heights of success. They can like doing social acts but their charity acts are like first fulfilling our needs and then others.They can also be a little inarticulate, caring more about making their point, than the elegance of the style in which it is made.

The sagittarians like to do work all the time. They are very enthusiastic, healthy, capable, proficient and continuously moving towards their aim. These types of people generally are very philosophical by their nature. But this philosophy is came from their experiences and thorough deep studies. by the way they dont get blow away with relationship and or any situation rather they try to escape from such situations. If we see, they can easily talk on the tedious subject like Brahma, Jeeva, Maaya, Atmaa parmaatma. They have superb fighting spirit. They are fearless. besides the dual element they can easily sticked to their decisions and takes it to the final stage. They are good interpreters.

The very special quality of Sagittarians is they blessed with the blessings of their supreme master. Therefore they get desired success in their ventures but endless hard work goes hand in hand. They are so moody, punctual and gives prime importance to time. And of course they wish that others also understands the importance of time. They believe in hardworking and takes rest in so small amount. They simply hates from showoff. Actually they likes to live simple life high thinking.

Physical attribute :- This sign consists little bit hefty body, broad forehead, small and bit flat nose, sleek medium size lips and goldenish hairs. Their sharp eyes and nose can smell any thing wrong and can read other minds thought.

Area of field :- Philosophy, Saint, Wholesale market, players, sports, sports instructor, high authorized managers, teachers, collector, broker.

This signs rely upon liver, thighs, gout, hip bones.

Sarita S Kulkarni

Sunday, April 14, 2013

राशी शृंखला - वृश्चिक राशी / भाग 9

राशी शृंखला - वृश्चिक राशी / भाग 9

वृश्चिक राशी जल तत्व की स्त्री राशी है।
स्थिर राशि।
राशी का स्वामि - मंगल
बोध चिन्ह : बिच्छु
अक्षर - तो ने नी नु णा णो या यि यु

संस्कृत का शब्द वृश्चिक का तात्पर्य है "बिच्छु"। यदि हम गगन मंडल मे खुली आंखो से भी वृश्चिक राशी खण्ड देखें, तो वहा की निहारिका पुन्ज का अकार ठिक वैसा ही होगा जैसा चित्र मे दिखाय गया है। वृश्चिक राशि के व्यक्ति जान पे जान देने वाले होते है लेकिन वक्त् पडने पर जान लेने वाले भी हो सकते है। हम मे से कई लोग ऐसे है जो देखते है की हमारे सम्पर्क मे आने वाले कभी कभी ऐसे व्यक्ति भी होते है जो उनका हक प्रेम रुपी शस्त्र से प्रस्थापित करते है। मूलतः वृश्चिक राशी व्यक्ति बहुत् ही प्रेमल, ममत्व दर्शाने वाली श्रद्धावान होते है।


सरवली मे इनके संबन्ध मे काहा है --

वृश्चिक लग्ने पुरुषः पीन पृथुव्यायतांग तीक्ष्णश्च
अन्तर्विशमः शूरो मातूरभीष्टो रणोघतस्यत्यागी । .
गंभीर पिंग्लोद्धत दृक्सु महाह्नन्निमग्न जठरस्च
अन्तर्वीलग्न घोणः साहस निरतः थिरश्चण्डः ।।
विश्वास हास्य वश्यः पित्तरुगार्तः कुटुम्ब संपन्नः
गुरु सुहृदां द्रोहरतः पराङ्गनाकर्षणा नुरतः।
वन्धोल्वणवक्षः स्याद् भूपति सेवी सशत्रु पकस्यात
प्रयतोर्थदः सुयुवतिधर्म प्रति वत्सलः क्षुद्रः ।।.


अर्थात जो वृश्चिक लग्न मे जन्म लेता है, वहा स्वस्थ शरीर, मोटा ताजा, ह्ष्ट पुष्ट एवं तेजस्वी होता है, मातृभक्त, कुटिल, संग्रामप्रिय, दाता, गंभीर, पिंगलवर्ण नेत्र, विस्तृत वक्षःस्थल, संकुचित पेट, चपटि नाक, साहसी, स्थिर, क्रोधि, विश्वासि, हास्य प्रिय, पित्तरोग से पीढित परिवार से परिपूर्ण, गुरुजनो का द्रोही, परस्त्रीगामी, सुन्दरमुख, राजा का सेवक, शत्रु वाला, सयंमी, धनी, सुन्दर स्त्री वाला, धर्मप्रिय किन्तु क्रुर होता है।


परन्तु यह पर सद्गुरुदेव जी ये केह्ते है की उपर्युक्त गुण न्युनाधिक्य रूप मे उन व्यक्तियों पर लागू हो सकते है, जिनका वृश्चिक लग्न क्षीन अंशो मे हो।

वृश्चिक लग्न प्रधान जातक का स्वभाव भी ठीक बिच्छु जैसा ही होता है। जो स्वभाव से ही बदला लेने वाला होता है। ज्यो ही इन्हे मौका मिलता है बदला लेने से नही चुकते। वैर ये भुलते नही और हमेशा ऐसे मौके की तलाश मे रेह्ते है जब् की बैर का बदल लिया जा सके। इसीलिये बालपन से होने वाले संस्कार बहुत् महत्वपूर्ण साबित होते है। इस बात का उन पर कुछः ज्यादा ही असर पडता है की आस पास का वातावरान क्या है कैसा है किस तरह् के व्यक्ति के देख् रेख् मे यह बडे होते है यह आती महत्वपूर्ण होता है इसका कारण इन का स्वभाव और राशी चिन्ह। इसलिये अगर इस राशी के व्यक्ति या तो संत ज्ञानेश्वर या हिट्लर हुए है। आप अतिरेक की सीमा देख् सकते है।


ये जातक बहुत् कष्टकारी और जीवन मे आवाहन स्वीकारने, दुख पचाने गरुड पक्षी के समान जागिरबाज् होते वाले वाले होते है। अपयश से हार जाने वाले कतयी नही होते। कुछः विशिष्ट मामलो मे बडे ही हट्टी, खूंशी और स्वत्वबोधक होते है। जो बात ठान लेते है वहा करके ही दम लेते है जरुरत पडने पर साम, दाम, दण्ड, भेद जैसे नियमो का अनुसरन कर अपना अभीष्ट पुरा कर ही लेते है। मन मे ठानी हुइ बात को पूर्ण करने के लिये ये किसी भी प्रकार के कष्ट लेने को तयार रेह्ते है। ध्येय प्राप्ति हेतु ये किसी भी रास्ते का वरन करने से नही चुकते। अगर सही तरिके से हो रहि है तो ठीक नही तो उन्गली टेढि करके भी घी निकाल जा सकता है।


वृश्चिक राशी के व्यक्ति जरा को राजकारनि वृत्ति के होते है। ये अच्हे राजकरनी साबित हो सकते है। किसी बात की अगर धुन चढः जाये तो वारमवार उसी के पीछे दौडते है। इनकी आंखो मे शरारत नाचती है और जहां पूरी मित्रता निभाते है वहि शत्रु बन जाने पर भयंकर भी सिद्ध् हो सकते है। इन्हे अगर व्यसन लग जाये तो जल्दी छुटता नही। हर किसी को उसका स्थान जातकर वर्तन करने वाले होते है। ये बहुत् ही बुद्धिवान व्यक्ति होते है। होष्यार होने के बावजूद ये जरा अती स्पष्टवादी होते है। ये तामसि राशी है और स्वामि मंगल। ऐसे व्यक्ति आकर्षक होने के कारण चुम्बकीय गुण धारण किये होते है।


शारीरिक वर्णन : आप देखेंगे की ये व्यक्ति स्वभाव से सोउम्य होते है गोल चेहर, कुछः चपटि सि नाक, चोti तथा पिनि आंखे, निकला हुआ ललाट, उभरी हुई ठोडि,सिर के बाल काले, गंभीर आक्रति इनके व्यक्तित्व की परिचायक होती है।


कार्यक्षेत्र : ये पोलिस विभाग, सी आय डि, सिक्यूरिटि सर्विस, पेस्ट कन्ट्रोल, पोलट्री, जुगारी, प्रोजेकट् मेनेजर, सब् प्रकार की उग्र रसायन, फ़ताके, भट्टि के काम, खेती, खिलाडु, एन्जिनियर, डाकटर, शीक्षक, दार्शनिक, प्रोफ़ेसर्, रीडर, लेखक, कवि, नाटककार, नृत्यकार, गायक हो सकते है।


शरीर पर सत्ता : इस राशी की सत्ता शरीर के गुप्तेन्द्रिय, मूत्र नालिका, गर्भाशय से जुडी हुइ नलिकाए, फ़ेलोपियन त्युब्, गर्भाशय का अन्तर्भाग। जब् कभी हमे इस प्रकार के रोग होते है तो ज्योतिष मे इस राशी का बिगडना माना जाता है।

अन्त मे एक विशेष बातचित, कोइ भी राशी अपने स्वतत्व के गुणो को लिये हुए होती है परन्तु एक वेधनीय बात ये है की जातक के कुण्डली मे ये राशिया कितने अंशों की है और उसी पर बहुत् कुछः निर्भर करता है। और इसी से उसका व्यक्तित्व निखर कर आता है। अंश से जुडी हुइ जानकारी हम आने वले लेखो मे कभी लेंगे। इसलिये अभी तक की दी गयी जानकारी शत प्रति शत सही होने के उपरान्त भी हर व्यक्ति विशेष पर उसकी स्वतह् की जन्म कुण्डली के स्थितिनुसार उसका अंकन किया जा सकता है। सो "ऐसा केह् देना की फ़ला फ़ला राशी के व्यक्ति ऐसे ही होते है" ऐसा ध्यान रखने की अपेक्षा "ये राशी के व्यक्ति ऐसे हो सकते है" ऐसा ध्यान रखना ज्यादा उचित माना जायेगा। क्युकी ज्ञान बंधा हुआ नही है और ना ही हम उसे बांध सकते है। वो तो उमुक्त होकर विचरन करता है मेरे पास से आपके पास और आप से आगे की ओर, यह एक चक्र के समान है जो चलता रहेगा सो संकुचित व्रत्ति से किसी ज्ञान को ग्रहन करना हानिकारक होता है। बाकी आगे आप स्वतह् समझदार है।


सरिता कुलकर्णी

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Secrets series of Zodiac sign – Scorpio / Part 9

The Scorpio / Water Element / Female sign / Triplicity of stability
Lord of the Sign – Mars
Symbol – Scorpio


The Sanskrit meaning of this word Vrishchik is known as ‘Bichhu’ which means Scorpio. If we see minutely in the sky, we will notice the area of this signs displays exactly a figure similar to Scorpio. The persons of this signs are very loving and caring natured persons. But when times come they never step back to take the lives. It simply means that these people are very opportunists. We must have seen that so many people who are from this sign express their rights via the expression of love. Basically they are of very kind, motherhood, and devotious.


In the ancient book named Saravali it has been said-

vrishcik lagne purushah peen pruthuvyaaytaang teekshnashch
antarvishamah shuro maaturbheeshto ranoghtasyatyaagi .
gambheer pingloddhatdruksu mahanhannimagna jatharashch
antarveelagna ghonah saahas niratah thirashchandah
vishvaas haasya vashyah pittrugaartah kutumb sampannah
guru suhrudam droharatah parangnaakarshana nuratah
vandholvanvakshah syaadbhupati sevi sashatru paksyaat
prayatothd suyuvatidharma prati vatsalah kshudrah.


It means the persons born under this sign have health body, hefty, wicked, struggler, liberal, serious, yellowish eyes, broad bust area, shrinked stomach, bit flat nose, brave, stable, angry, trusty, loves jolly natured, whole family suffered from acidity, protester, beautiful face, king servant, controlled, rich, having beautiful partner, religious but cruel. But at this point Sadgurudev said that whatever weakness this sign consists but applied only when the degrees of first house is very low.


Well the prominent Scorpians are exactly like the scorpions in nature that always fulfil their revenge. They are always in such mode when they get chance and bounce back on them. They never forget their enmity and always remain in search of paying back. That’s the reason their upbrings stands so importance in their life. Well this thing becomes as important as with whom they are growing and which type of environment is getting them. Normally it happens with everybody but due this basic route of this sign this fact becomes more important for them. Therefore this sign leads to either Sant Gyaaneshvar else Hitler.


These persons are very hard working in their life. Accepting challenges and facing it with courage is their prime feature. They never depressed from their failures. Yaa but in some cases they act so possessively, stiffly and revengefully. If they decide anything then take relief breath only after accomplishment of it. Incantation, bribery, threat, guile the traditional means for any a king to attain his purposes, generally they implement this principle to accomplish their wishes. And for attainment of wish they can go up to any level. One more say just fit on them i.e. if it is straight to get then its fine otherwise there are many other ways to get things done.


Scorpians are bit political by nature. Rather they can explore themselves in politics in better way. If they wish to have somepaticular thing in their life then by hook or crook they get it. Were their notourious eyes play and fill the pure friendship at every level, there they can become enemy also as strongfull as they fulfil the friendship. Normally they don’t get used to any habbit but they caught trap in it then it becomes quite difficult to leave it. They have a quality of rating people and then behaving with them. They have a specific behavirol pattern. They are very studious, intelligent and spontaneous. They are so attractive and so their personality is magnetic.


Physical Attributes – You will notice these people are soft by nature having round oval shape face, bit flat nose, small but sharp spreaded eyes, forward forhead and chin, black hairs, serious personality.


Area of field: Normaly they do better in Police department, Security Service, Pest Control, Poultry, betting, Project Manager, All types of powerful chemicals, crackers, agriculture, Doctor, teacher, profeser, writer, poet, playwriter, dancer, singer etc.

The Scorpio sign resides on the body part like all genital organs and internal organ.

At last some important talks which has to be noted, while all signs have their own properties. But more importantly noticeable point is at what degree the signs placed in any horoscope as many thing rely on that only & that's how the personality of any persons come out and may get vary due to this difference degree levels. Well later we will see the information regarding the degrees of sign in upcoming articles. So whatever information till now had been given is cent percent correct. But still the rating or ranking is based on the intensity of degrees in horoscope. Therefore i would say sheer spelling out such words that this person like that is not the better way to observe or imbibe. Rather one can have the vision in such manner where it can be said that "may be he is like this" Expressing probabilities and confirming it are two different outlooks. it has logical background too. As we cant bound knowledge because it has a complete identity in itself. So grasping it by narrow mindedness is really harmful for brain..Rest you are smart enough.

Sarita S Kulkarni

Friday, March 29, 2013

राशी शृंखला - तुला राशी / भाग 8

राशी शृंखला - तुला राशी / भाग 8

तुला राशी वायु तत्व की पुरुष राशी है।
चर राशि।
राशी का स्वामि - शुक्र
बोध चिन्ह : तराजू
अक्षर - रा रि रु रो रे ता ती तू ते

अगर हम राशि का बोध चिन्ह देखे तो सीधा सीधा अर्थ ये निकलता है तराजू सलग्न चित्र से तुला राशी का स्वरुप् जाणा जा सकता है। एक वणिक् जिसका बायां हाथ् डलिया पर है और दाहिने हाथ् मे तराजु लिये हुए है। विशेष बात तराजू के दोनो ही पलदे बराबर है जिस से इसकी न्यायप्रियता स्पष्ट होती है। अब हम जानेंगे की तुला राशी के जातक कैसे होते है। तुला राशी प्रधान जातक बहुत् ही बुद्धिवान, प्रज्ञावान, प्रगल्भ् विचारो के होते है। अक्सर देखा गया है की ये गमनशील् होते है। तुला लग्न प्रधान जातक न्याय प्रिय एवं आदर्श को सर्वोपरि महत्व देते है। प्रपन्च और परमार्थ् मे समन्वय साधने का प्रयत्न करते है। अष्टपहलु के ये जातक सदेव बाह्य जगत मे रमते है। और दूसरो को अपना सा कर लेते है।

आप देखेंगे की ये व्यक्ति धार्मिक रुढियों से से ग्रस्त रहते है और सामाजिक संस्कारो से चिपके रहते है। दुसरे शब्दो मे ये काहा जा सकता है की ऐसे व्यक्ति विद्रोहि नही हो सकते, एकदम से सर्वथा नवीन पथ स्वीकार नही सकते। ऐसा काहा जाता है की वृषभ मादक तो तुला साधक। वृषभ भोगीवादी तो तुला भक्तिवादि। ऐसी तुलना इस वजह से क्योकि ये दोनो रशियों के स्वामि शुक्र ग्रह है। आप मेहसुस करेंगे की इन लोगों की बातचित मे बिल्कुल बि तडक भडक पन नही होता। इन्हे आवाहन स्वीकारना बहुत् पसंद है। परिस्थिति का सामना बडे ही सकारात्मक और शान्ति के साथ् करते है। जैसा की मैने काहा की इनका अष्टपाहिलु का व्यक्तित्व है ठीक उसी प्रकार ये हर स्थिति का विचार संपूर्ण विविध दृष्टिकोणो से करते है।।

रचनात्मक कार्यो मे इनकी प्रव्रत्ति ज्यादा रमती है। धार्मिक सभा, संगठन, चन्द संग्रह करना, जाती के लिये कार्य करना, निस्वार्थ सेवा एवं भलाई के कार्यो मे अग्राणि रहते है। वैसे जो भी समय इनके पास बचत है वह अधिकतर इन्हि कार्यो मे व्यतीत कर देते है। आप के ध्यान मे कभी ऐसे व्यक्ति आये होंगे की जब् तक कोइ बात उन्हे पुरी तरह सिद्ध् नही हो जाती तब् तक उसे अपनाएंगे नही। ये दूसरो की भावनोओ का खयाल रखते है। ज्यादातर वादविवादो से बचते है। इन व्यक्तियो के दिल मे क्या है? उसका पता कोइ नही लगा सकता। हृदय मे रिक्तता होने पर भी चेहरे पर सदेव मुस्कुरहत बनाये रखते है। इनके चेहरे से कोइ पूर्वाभास कर लेना कठिन हो जाता है।

अप देखेंगे की ऐसे व्यक्तियों की सबसे बडी विशेषता यह होती है की ये मनुष्य को तुरन्त पेह्चान लेते है। ये सहज ही मन ही मन भांप् लेते है, की सामने वाले के मन मे क्या है। या ये मेरे लिये कितना साधक या बाधक हो सकते है। मानव निरीक्षन मे ये पारखी होते है। अधिकतर ऐसे व्यक्ति "सेल्फ़ मेड" होते है।

शारीरिक वर्णन - अप देखेंगे की ऐसे व्यक्ति माध्यम कद को लिये हुए, सुन्दर, कुछ लम्बा सा चेहरा, गेहुआ रंग, माध्यम स्तर के नक नक्श, चतुर, बातचित करने मे प्रवीन, विपक्षी को अपनी बाते समझाने मे माहिर और हंसमुख। उठा हुआ ललाट, सुन्दर सोउम्य आंखे, उभरा हुअ सीन एक स्वस्थ भुजाये इनके व्यक्तित्व मे देखी जा सकती है।

कार्यक्षेत्र - तुला व्यक्ति सुन्गधित वस्तुओ का व्यापार, रेशम व्यवसाय, तन्त बनाना या बजाना, वकील, न्यायाधीश, मानसशास्त्र, शीक्षक, आयोजक।

शरीर पर सत्ता - तुला राशी शरीर के किड्नी, कमर, गर्भाशय पर अमल करती है।


सरिता कुलकर्णी

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Secret series of Zodiac signs - Libra / part 8

Libra Sign/Air element/male sign/movable sign
Sign Lord - Venus
Symbol - a pair of scales or balance

If we minutely observe the symbol of this sign, we ll find the picture denoting a pair of scales or a balance. A merchant holding holding small basket in left hand and a pair of scale in right hand.. The special thing is both the sides of pair is equal which reflects justice. Now we will see the information about this sign. Well librarians are so intelligent, knowledgeable, bold , confident , skillful by thoughts. Usually they found to be roamer. Prominent Librarians are justice lover and idealistic and they give more importance to it in their life. They can easily makes balance between in worldly affairs, entanglement and spiritual thoughts. They are versatile which involves in outer world and becomes lovable for everyone easily.

You must seen some of them are terribly affected by traditional foundations and stay stick to societal limitations. In other words these persons cant protest and could never follow altogether different field suddenly. In short they need time to think and do action over it. Our old scholar people used to say If Taurus is considered as narcotic then Libra is ascetic. Again if Taurus is gratification then Libra is devotional ism. As both the signs comes under the lord of same planet i.e. Venus. You can feel that the talking skills of Librarian is so sophisticated and soft. They like to accept challenges in their life. They have the art to tackle any situation with positiveness, patience and peace. As i said Librarians are so versatile so the same angle of versatility is notice in every situation handled by them.

Well they are so artistic and like to stay in that world more. They are always forward in the work like devotional meetings, to collect charity, to work for religion, social work and kindliness. By the way whatever time they left with used to spend on such type of things only.You must have observed those people who do not accept the fact until its not proven. I mean they need logic to accept the fact. They always do take care of others emotions. Most of the times they try to save or escapes themselves from controversial situations. You cant figure out whats on their mind.
Apart from their emptiness or loneliness there faces are always smiling..

You will notice the most prominent feature of these people is they have a quality of recognize people. They can easily make out like whether front one is good for him or not.They are generally considered as "Self made persons".
Physical Attributes - You will notice Librarians are generally of medium hieght, long face, Wheaties color, witty, skillful, artistic and jolly natured persons. Prominent forehead, beautiful eyes, forward chest, healthy shoulders are part of their impressive personality.
Work Area -Librarian generally do well in the business of fragrances, perfumes, silk, making musical instrument and playing them, lawyer, psychology, Teachers, Manager.

The Libra sign resides on the kidney, waist and uterus.

Well at the end of this article i just want to inform u again that this information sheer translation of hindi article and the information is based on Indian Astrolgy.

Sarita S Kulkarni



Thursday, March 14, 2013

राशी शृंखला - कन्या राशी / भाग 7 (with English Version)


Dear all, In this article i have posted English version as per demand.. and for every possible article i will try to provide in both the languages for our seekers.


राशी शृंखला - कन्या राशी / भाग 7

कन्या राशी पृथ्वी तत्व की स्त्री राशी है।
द्विस्वभाव् राशि।
राशी का स्वामि - बुध
बोध चिन्ह : नौका विहार करती हुइ कन्या एक हाथ् मे भूटटा और दुसरे हाथ् मे दीया लिये हुए ।
अक्षर - प ठः ण
 ज्योतिष के प्रधान ग्रन्थ्, "सारावली' - मे राशियो का स्वरुप् स्पष्ट करते हुए काहा है -

कुम्भ कुम्भ्धरो नरोथक मिथुनं वीणा गदाभृन्नरो
मीनौ मीनयुगं धनुश्च सधनुः पश्चाच्छरीरो हयः।
एणासयो मकरः प्रदीप सहिता कन्या च नौ संस्थिता
शेषो राशिगणः स्वनाम् सदृशो धत्ते तुला भृत्तुलाम।।

ऊपर् प्रत्येक राशी का स्वरुप् स्पष्ट किया है, जिसमे राशी के बारे मे काहा है -

'प्रदीप सहिता कन्या च नौ संस्थिता' अर्थात हाथो मे दीप लेकर नौका पर बैठी हुइ कन्या के सदृश'।

 कन्या लग्न या राशि प्रधान लोग सौन्दर्यवान्, प्रकृति पर प्रेम करने वाली व्यापारी वृत्ति के होते है। कन्या राशी के व्यक्ति जरुरत से ज्यादा चिकित्सक होते है। आप देखेंगे की कन्या राशी के व्यक्ति बडे ही संशयी और किसी भी बात का पेहले नकारात्मक विचार करते है। इन लोगो को दूसरो के दोष सहज ही दिख जाते है। छोटि छोटि बातो से घबराना, चिन्ता करने वाली ये व्यक्ति स्वतह् ही संकट ओढ लेते है इसी कारण ये किसी भी पल को दिल्खुलास होके जी ही नही पाते । इसी अस्थिरता के कारण इनके मस्तिष्क मे अलग विचार होते है और क्रति कुछ और हो जाती है। इनके मन का थान्ग लगाना असान नही।

कन्या राशि के व्यक्ति बहुत् ही बुद्धिवान होते है फिर भी ये अपनी ही किसी तन्द्रा मे मग्न रेह्ते है। आप लोगों ने कभी ध्यान दिया होगा की कन्या के जातको का सौन्दर्य चिर काल तिक्ने वाला और नैसर्गिक है। इसी कारण ये व्रद्धाप्काल् तक तरुण एवं तरोताजा दिखायि देते है। इस का एक और कारण भी है की कन्या राशी का स्वामि बुध है। और बुध ग्रह को बालिश अथवा अपरिपक्व की संज्ञा दि है। कन्या राशि ये प्रक्रति की सबसे लाड्ली राशि है। एक और ध्यान मे रख्नि वाली बात की इनकी सुन्दरत खानदानी होती है गर ये रोगग्रस्त हो भी जाये तो नैसर्गिक उपचार या खानपान इन्हे ज्यादा जल्दी अच्हा कर सकते है।

ज्योतिष के अध्येताओ ने ऐसा काहा है की अगर मिथुन राशी मस्ति या छेडने मे तो कन्या राशि व्याख्या करने मे महीर होती है। इन्हे समीक्षक का कार्य बडी खूबी से जमता है। ये मौसमि बदलाव से होने वाले रोगो से बहुत् जल्दी ग्रस्त हो जाते है। आप देखेंगे की आप के आस पास ऐसे कै लोग है जो अपने जोदिदारो के साथ् एवै नोक झोक या चिड चिड करते रेहने की आदत इस राशी मे भी है। इस राशी के जातको को अपने काम खुद करने मे अच्हा लगता है। या व्यक्ति जरा लोभी किस्म के, संसार्सक्त घर पर रामने वाले होते है। नये नये प्रकार के व्यन्जन को बना कर देखना इन्हे बहुत् पसंद है। एक ही जगः स्वस्थ बैठ जाये ऐसा नही हो सकता, घुम्ते रेहन इनके स्वभव् मे है।

अब आप जरा सोचे की कितने ही ऐसे व्यक्ति हमारे सम्पर्क मे आते है जो बैठे बैठे पैर हिलाना या उन्गलियो को मरोडना ऐसी किसी आदत के आदि होते है वह इसी राशी का गुण है। बहुत् ज्यादा सोच विचारने की या चिन्तित रेहने की आदत इन्हे मानसिक रोगओ की तरफ़् ले जाती है। ये शुद्धता प्रिय राशी है साधा सात्विक आहार, शुद्ध पानी, खुली हवा इन्हे बहुत् भांति है। इन्हे घुम्ने का बहुत् शौक् होता है। एक निश्चित ध्येय और जीवन की विशेष परिपाटि होती है। न्यायप्रियता मे इनकी गेह्रि आस्था होती है। स्त्री तत्व प्रधान होने के कारण उन्मे स्त्रियोचित कोमलता सहज ही पायी जाती है। ये व्यक्ती ईमान्दार् होते है यदा कदा भटक जाने के बावजूद ये पुनः इसी रास्ते पर लौट आते है।

प्रेम के क्षेत्र मे ये व्यक्ति भावुक होते है। अपना सर्वस्व देने के लिये हिचकिचाहट अनुभव नही करते। मित्रता के नाम पर ये बडे से बडा त्याग करने को प्रस्तुत हो जाते है। इस प्रकार के व्यक्ति सफ़ल् प्रेमी, सफ़ल् कवि, सफ़ल् दार्शनिक और सफ़ल् मित्र साबित हो सकते है। लेहरि किस्म के होते है।

शारीरिक वर्णन - कन्या राशी के व्यक्तियो को आप पेह्चान सकते है इनके सुनह्रे रंग रक्तता लिये गेहुए रंग भी हो सकता है। माध्यम कद, तीखे नाक नक्श, सुन्दर बनावट, उन्नत ललाट, पैनी लम्बी काली आंखे, पातला और तीखा उठा हुआ नाक, पतले पतले होंठ और उभरि हुइ ठोडि इनके व्यक्तित्व मे देखी जा सकती। ये बडे ही हंसमुख, चतुर और सफ़ल् मित्र सिद्ध् होते है।

कार्यक्षेत्र - कम्प्युटर इन्जिनीयर, सि ए, अर्किटेकचर, डोकटर, रिसर्च, पाश्चात्य भाषा, क्वालीटि कनट्रोल, बुध ग्रह का अमल वाणी पर हो ने कारण वकील पेशा, कवि, लेखक, राजनीति, लीडर इत्यादि।

शरीर पर सत्ता - कन्या राशी शारीर के भाग जैसे पेट, छोटि वा बडी आंतडि, पाचन संस्था।


सरिता कुलकर्णी

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Secret Series of Zodiac Signs - Virgo / Part 7

Virgo belongs to earth element and Triplicity female element.
Dual nature sign,
Lord - Mercury
Symbol - The young girl sitting on a boat holding a lamp in one and on other a corn.
Alphabet - P T N

In one of the most ancient books of astrology named " Saaraavali" while mentioning the forms of signs they have defined it in a Shloka....

kumbh kumbhadharo narothak mithunam veena gadaabhrunnaro
meeno minyugam dhanushch sadhanuh pashchaachriro hayah.
enaasayo makarah pradeep sahitaa kanya ch nau sansthitaa
shehso raashiganah swanaam sadrusho dhatte tula bhruttlaam..

Above is the explanation of each sign where it has been said - 'pradeep sahitaa kanya ch nau sansthitaa' means a scene where in young girl sitting on a boat and holding a lamp in a hand. Virgo in first house or considered as prime sign in the horoscope and signifies the beauty, shower er of love on nature and a business minded people. They are too much analytical by nature. You will find these people as suspicious and a negative minded. They have a habit of noticing negative side of anything first. They can easily find faults in others. Scaring or taking tension of small small things are their part of nature. Due t to this they themselves invite troubles for them because of such habit. And this cause to the suffocation in their mind and they are not able to live every moment of life. Well I must its hard to judge or read their mind.

Well Virgo persons are very brainy and intelligent. And they like to live in their own created world. Sometimes you may have noticed that these people looked so pretty and their beauty last long for long duration and it’s natural. That’s the reason virgoes look young by their age even in their old days they look youthful and fresh. One more reason behind this fact is that the lord of this sign is Mercury. And planet mercury is known as for communication, youthfulness and immaturity. Anyways this sign is the most adorable sign of nature. One more noticeable point is their beauty is hereditary. If they get victim of any disease, then natural remedy is best for them. Besides from medical treatment the homemade food items are more suitable for them.

By the way the scholars of Astrology had been said that if Gemini is known for its teasing quality then on other side Virgo are knows as for their defining quality. Because of habit of critical acclaims and analysis they can be good editors. They get affected by the changes is weather as they are very vulnerable. You must have seen that some people have an habbit of making or creating issues all the time with their loved ones.. Might be they have a habbit of taking their close people for granted. These people are little bit self cenntered, materialistic and happily wander at home. Making new dishes are their hobbies. Haaa they can sit at one place for more time. As roaming here there is in their habit.


Now just imagine how many people you have found or come in our connection who have a habit of shaking their legs or playing with fingers belongs to same sign. Don’t get surprise as this is the sign of little bit nervousness. Because of excess thinking they can lead to mental sickness or diseases related to brain. Well they like purity. Simple veggie food, pure drinks, opened fresh air are their likings. They are very fond of travelling. They have a strong and desirous ambition in their life and on time to time they step forward towards it. They like justice. Because of prominent triplicity of Female element they are delicate darlings. They are hones human beings and any time if they wandered would come back towards same motto.


In the field of Love they are too sensitive. They get ready to sacrifice everything and don’t hesitate. This type of persons may get success in poetry, philosopher, and successful lover and a friend too.

Physical Attributes – You can easily recognise Virgo persons by their attractive looks and beauty. Their goldenish wheatish complexion, medium height, sharp nose, beautiful liplines, broad forehead, long sharp eyes, thin but prominent nose and highlighted chin can be seen in their personality. They are very jolly natured and can become intelligent friend.

Area of work field: They can be computer engineer, C A, Architecture, Research, Western Languages, and Quality Control, doctors, because of Lord Mercury the field of communication, lawyer, writer, poet, leaders and politics too.

Physical parts on which Virgo sign emphasise: Stomach, small and large intestine and digestive system.

Well, let me clear one thing here this information is purely based on Indian Astrology and this is a sheer translation of it. So kindly don’t compare it with western astrology. About western astrology we will see articles in future.

Sarita S Kulkarni


Tuesday, March 5, 2013

राशी शृंखला - सिंह राशी / भाग 6


राशी शृंखला - सिंह राशी / भाग ६

सिंह राशी अग्नि तत्व की पुरुष राशी है।
स्थिर राशि।
बोध चिन्ह : सिंह
राशी स्वामि : रवि
अक्षर : म ल ट

 सिंह का सीधा सादा ताथ्पर्य 'वनराज'। ठीक शेर सी इनकी प्रव्रत्ति इस प्रकार के जातको मे पायी जाती है। जिनकी सिंह राशी प्रधान होती होती है वे अत्यन्त गरम स्वभाव् के होते है ' क्षणे रुष्टा क्षणे तुष्ट' वाक्य इनके जीवन पर पूर्ण रूप से लागू होता है। अपने देखा होगा की किस प्रकार इस राशि के जातक कायदे से बंधे हुए होते, शिस्त प्रिय, कडक, न्यायप्रिय होते है।

कायदे के चौखट मे रेहकर नियम पालन कर्ता होते है। इनकी तो ये भी अपेक्षा होती है की दुसरे भी उन नियमो को पालन करे। इन्हे इनकी मर्यादा रेखा भली प्रकार से पता होती है। नही वो तत्व संभालकर रखेन वाले सिंह राशी के जातक बडे ही रूक्ष, कायम अक्रामक स्वरुप् धारण किये होते है। आप देखेंगे की ये हमेशा नियम कानून की उन्ग्ली पकद के चलते है। सो लोगो मे ये अप्रिय से हो जाते है। क्यो की हमेशा नियम कानून हार कोइ नही चल सकता।

मेष राशी की आक्रामकता या व्याव्हारिक्ता उनके फ़ायदे के लिये होती है तो सिंह तत्वो के लिये होती है। अत्यन्त कडी गरदन से जगने वाले ये सिंह राशी के व्यक्ति आती तत्वनिष्ठ होते है किसी के आगे झुकने की इन्मे वृत्ति नही होती लेकिन अपने सामने झुके या हमारी सुने ऐसी अपेक्षा जरुर होती है। आप देखेंगे अक्सर हमारे वरिष्ट अधिकतर ऐसे ही होते है जिन्हे अपनी स्तुति सुनना तो बेहद पसंद होता है लेकिन किसी और की स्तुति करना बनता नही। लेकिन यदि किसी की स्तुति गर ये कर दे तो उसे दिल से स्वीकर् करते है।

सिंह जातक कर्तव्यदक्ष, उदार व निष्टावान होते है।ये झुट का सहारा कतैइ नही लेते और ठिक वैसे ही बर्दष्ट भी नही करते। आप देखेंगे ये व्यक्ति प्रचण्ड् ओपचारिक होते है। इनकी जीवन्शक्ति उत्तम होती है।वैसे स्वयम् मे ये जातक आलसी या सुस्त होते है । कुचः इस प्रकार की वृत्ति होती की जब् तक सिर पर कोइ काम आकार न पड जाये ये उसके लिये सोचते ही नही। "आज का काम कल" या 'यो तो हो ही जायेगा" जैसे सिद्द्धन्त इन पर सुसज्जित होते है। दूसरो पर ये आती विश्वास करते है लेकिन उन संशय की दृष्टि भी रखते है। इसलिये चौकन्ना रेहने का इनका स्वभाव् होता है।

सद्गुरुदेव लिखित एक और तथ्य ये है की जिसे जीवन मे ये अपना लेते है, उसके प्रति पुरे ईमान्दार् रहते है तथा मित्रता के नाम पर अपना सर्वस्व तक अर्पन करने को तयार हो जाते है। फिर भी सहज ही इन के वचनो पर विशवास नही किया जा सकता। धार्मिक रुढियो को ये दृढता से मानते है और उन पर गेह्रि आस्था भी रखते है।

'मान सागरि' मे इनके बारे मे कहा गया है की --

सिंह लज्ञोदये जातो भोगी शत्रु विमर्दकः।
स्वल्पोदरोल्प पुत्रश्च सोत्साहो रण विक्रमी।।

अर्थात जिस जातक मे सिंह तत्व प्रधान होता है वह शत्रुओ का मर्दन करने वाले होते है, प्रबल भोगी, उदर छोटा, अल्प संतति, उत्साः के साथ् रण मे पराक्रम दिखाने वाला होता है।
ना ये अन्याय सहन करते है ना करने देते है।

शारीरिक वर्णन: आप देखेंगे सिंह राशी के व्यक्ति मध्यम कद लिये हुए, मजबुत बाहु, चेहरे पर विशिष्ट तेज, थोडी सतेज या रूक्ष कान्ती हो सकती है। ऐसे व्यक्ति स्वस्थ शरीर एवं सुदृढ व्यक्तिवा के होते है। इन्मे चुम्बकीय अकार्षण होता है जिस की वजह् से इनके मित्र जल्दी बन जाते है। गेहरी नीली या काली आंखे, भोहो पर घने बाल, घुंगराली केश राशि।

कार्यक्षेत्र :- अब हम देखते है की सिंह राशि के व्यक्तियो के लिये कार्यक्षेत्र - आरोग्य विशेषक, पेरा मेडिकल , तेक्नीशियन, राजकारन, समाजकारन, स्वतन्त्र व्यवसाय, इनजिनीयर, विज्ञान शाखा, प्रबंधन, पोलिस, सेना, सरकारी अधिकारी, थानेदार, सुप्रिटेंडेंट पोलिस विभाग मे, मेजर, कर्नल, संशयालु प्रव्रत्ति होने की वजह् से सफ़ल् गुप्तचार, गुरु कारक होने पर दार्शनिक भी होते है, लेक्चरर, प्रोफ़ेसर् इत्यादि।

शरीर पर सत्ता : आरोग्य के द्रिष्टिकोन से सिंह राशि का प्रभाव हृदय, पीठ, पेट का दहिना भाग, स्त्री की गर्भधारन क्षमता।

सिंह राशि का अधिपति रवि होने की वजह् से रत्न माणिक है। इसे धारण किया जा सकता है लेकिन रत्नो के मामलो मे बहुत् सतर्कता से सावधानी से निर्णय लेना चाहिये। ऐसा जरुरी नही की जो निर्धारित रत्न ग्रहो और राशियो के है वो उठा के पेहेन लिये। ऐसी गलती कभी ना करे। क्यो की रत्नो का प्रभाव निश्चित और अचूक है बशर्ते वह प्रमाणित हो लेकिन सिर्फ़ यहि तथ्य धारण करने के लिये काफ़ि नही। कुण्डली मे कोन्से ग्रह की स्थिति कैसी है, दशा विचार और कुण्डली का गहन अध्ययन की आवश्यकता है। हम ग्रहो की, रत्नो की, उप्रत्नों की विस्तृत जानकारी आगे आने वाले लेखो मे लेंगे। सिंह राशि के जातको को लाल रंग के वस्त्र धारन करने चाहिये। ये इनके लिये अनुकूल है। हम आने वाले लेखो मे एक नयी कडी "ज्योतिष और तन्त्र " देखेंगे जिसमे कैसे हमारे आस पास विचरन करने वाली राशि रुपी व्यक्ति कैसे हमारे लिये अनुकूल हो सकते है और बहुत् कुछ। ऐसी कोइ विधा या ज्ञान नही जो सद्गुरुदेव जि से अछुता रहा हो। समय समय पर इसी ज्ञान रुपी गंगा को आपके समक्ष राखति जाऊगीं।

 सो अगली राशि अगले लेख मे नये रहस्यो के साथ्.....

सरिता कुलकर्णी

Wednesday, February 27, 2013

राशि शृंखला कर्क राशि / भाग ५


राशि शृंखला कर्क राशि / भाग ५

कर्क राशि जल तत्व राशि है
स्त्री राशि चार राशि है
राशि का स्वामि चन्द्र है
बोध चिन्ह : केखडा
अक्षर : ही ह् हु हो डा दि डू दे डो

कर्क का अकार केकडे के समान होता है, जो स्वभव् से सहिष्णु और सःअन्शील् होते है। ठिक यहि स्वभाव् इस से संबंधित जातको का होता है। वे अपने ऊपर् होते उए अत्याचारों को भी जान बुझकर सहन करते रेह्ते है तथा उफ़्फ़ तक नही करते। स्त्री राशि होने कि कारण कर्क राशि के जातक कुटुम्ब वत्सल होते है।

आप देखेंगे की इनका प्रेम अपने घर पर, घर के लोगों पर, मा बाबा, बच्चों पर रेह्ता है। दयाग्र, अंतःकरण की सान्सार सक्त ये कर्क राशि के जातक विशेषतः कीचन मे बहुत् रमति है। मे, मेरा, मुझे ऐसा हव्यास खत्म ही नही होता। आप देखेंगे की ऐसे व्यक्ति बच्चों से बहुत् ही कोमल भाषा मे वार्तालाप करते है। बच्चों की गल्तियों पर पर्दा डालना या दुर्लक्ष करने वालों मे से होते है।

आप देखेंगे की ये इस राशि के लोगो को स्वछ्ता बहुत् पसंद है। भावुक होने की वजह् से इनकी भाषा बोली बहुत् मिठी होती है।किसी से खडि बात नही कर सकते। आपने जरुर मेहसुस किया होगा की इस राशी के व्यक्ति बडे ही लेहरी, गम्भीर, भावना प्रधान होते है। थोडे संकोचि भी होते है। साथ् ही साथ् ये बहुत् परिश्रमी भी होते है। शारीरिक श्रम की अपेक्षा ये मानसिक श्रम मे ज्यादा विश्वास करते है और नित्य का कार्य नित्य निप्ताने मे विश्वास करते है। इन्हे अकाली प्रोढत्व आता है।

आप मेहसुस करेंगे इनके हसने बोलने सोम्यता और मादकता होती है। इनके जोडिदार हमेशा इन पर हुकुमत चलाते है। कर्क राशी के पुरुष भी घर पर रामने वालो मे से होते लेकिन कर्तुत्ववान भी होते है। हम बहुत् बार देखते है और मेहसुस करते है की कर्क के जातक कुछः ऐसे होते है की अन्तर्मन की हीनता की भावना भी प्रबल होती है। जरा सा भी कोइ कार्य इनकी रुचि के खिलाफ़् हो जाता है तो ये बहुत् हीनता की ग्रन्थि के शीकार हो जाते है। दुख या पीढा को ये घटा बढाकर देखना इनका स्वभाव् होता है।

कलादि क्षेत्रो मे ये गेह्री रुचि रखते है। संगीत नृत्य इनका प्रिय विषय होता है और कार्य व्यस्तता मे भी ये समय निकाल ऐसी जगह् पहुच जाते है,जाहा ऐसे आयोजन होते रेह्ते है।सदगुरुदेव केह्ते है की कर्क जातक शैक्षणिक एवं राजनैतिक क्षेत्र मे अधिक सफ़ल् होते है। व्यावसायिक शेत्र भी अच्हा कर लेते है पर फिर भी इन्हे इस पथ पर पग पग पर आलोचना का शिकार करना पडता है। इसका कारण इनका आती भावनात्मक होना। एक बडी रोचक बात बातचित मे ये जातक पटु होते है। संमोहन कला के सही ज्ञाता होते है ये कर्क के जातक। इन्हे भली प्रकार से प्रभावित करना आता है।

शारीरिक वर्णन : अपने देखेंगे की इन व्यक्तियो का चेहरा गोल, चन्द्रमुखी, मांसल देह्यष्टि, काली भोर आंखे, चेहरे पर सात्विक भाव, लम्बे व घनि काली केश्भुषा।

कार्यक्षेत्र : अध्यापक, बालवाडि, झुला घर, फल फुल सब्जी का व्यापार, एस्टेटे एजेटं, खाद्य पदार्थ, दुग्ध् व्यवसाय, कला शाखा, केटरिंग इत्यादि।

शरीर पर सत्ता : कर्क राशी का प्रभाव शरीर की पाचन संस्था, रक्त, छाती का पिन्जरा, फ़ेफ़्डे, स्तन।

सद्गुरुदेव जी ने इन जातको को इमानदार की संज्ञा भी दी है। न्याय के लिये प्रसिद्ध् होते है। इस लग्न के जातक न्यायाधीश भी देखे गये है। सफ़ेद् रंग का चुनाव इनके लिये श्रेष्ठ है इस से इनको सकार्त्मक उर्जा मिलति है। साथ् ही साथ् हल्के रंग को भी चयन कर सकते है।

अन्त मे फिर एक बार यहि केःन चाहुंगी की राशीयो की जानकारी से आप अपने आस पास के लोगों को सही रूप मे समज़् कर व्यवहार कर सकती है। इस से होने वाले फ़ायदे आप खुद अपने जीवन मे देख् सकेन्गे पर जरुरत है तो अजमा कर देखने की फिर देर किस बात की है।
अगले लेख मे अगली राशी.......


सरिता कुलकर्णी


Thursday, February 14, 2013

राशि शृंखला वृषभ राशि / भाग ३


राशि शृंखला वृषभ राशि / भाग ३

वृषभ राशि : - यह राशि पृथ्वी तत्व की स्त्री राशि स्थिर स्वभाव् कि राशि है।
राशि स्वामि : शुक्र
बोध चिन्ह : बैल
अक्षर : ब व ऊ

वृषभ राशि सौन्दर्य प्रिय राशि है। व्रशभ् राशि के व्यक्ति सौन्दर्य के प्रति बहुत् जागरुक होते है। प्रणय और सौन्दर्य कि साम्राग्यि वृषभ राशि के व्यक्ति हमेशा संसार्सक्त और लालसा लिये हुए होते है। ये व्यक्ति बहुत् मौज मस्ती करने वाले, जीवन के विविध रंगो का स्वाद् लेने वालों मे से होते है। ये अति कला प्रिय होते है। अपने फ़न् को बहुत् अच्हे से संभाल के रखते है। ये व्यक्ति फ़शन के शौकीन् होते है। इन्हे नायी चीजो का शोध करना बेहद पसंद होता है लेकिन वैज्ञानिक नही सान्सरिक। इस राशि के प्रति भिन्न लिंगी व्यक्ति बहुत् जल्दी आकर्षित होते है। ये व्यक्ति बहुत् जल्दी प्रेम प्रसंगो मे पड जाते है। इन्हे इत्त्र, परफ़्युम, मेहेंगे वस्त्र, बहुत् जल्दी भाते है। वृषभ राशि के व्यक्ति किसी भी काम को बडे मन लगा कर करते है। आप देखेंगे आपके इर्द गिर्द ऐसे लोग होंगे जो कोइ काम हाथ् मे लेते है तो अंतिम चरण तक पाहुचाते है। हर लिये हुए काम को पूर्णता देना पसंद है। अपने आप को झोंक के काम करना इनकी फ़ितरत मे है। वृषभ राशि के व्यक्तियो को रंग संगति कि उत्तम पहिचान होती है। ये व्यवस्थित और स्वछ्ता प्रिय होते है। इनके हसने बोलने के ढंग से दिखावटीपन और बनावटीपन साफ़् छलकता है । थोडे घमंडी भी होते है। इनके बर्ताव मे जरा नटखटपन और एक प्रकार कि अदा होती है। शारीरिक ताकत उत्तम होने के बावजूद शारीरिक श्रम करने कि तयारी बिल्कुल नही होते अर्थात जरा आलसी वृत्ति के होते है। परंतु सच्चायी तो ये है कि इन्हे जीवन मे अति कष्ट लेने पडते है और दुख की बात ये है कि इन्हे उसका क्रेडिट भी नही मिलता। जल्दी थक जाते है और काम तब् ही करते है जब् बन पड जाती है। इनका तरुण काल मोज मस्ती से गुजरता है लेकिन वृद्धापकाल कष्टप्रद होता है। व्यवहार से ये व्यक्ति बडे ही दिलदार होते है। इन्मे सबसे अछ्हि बात ये है कि ये अपयश को भी दिलखुलासपन से स्वीकर् करते है।

शारीरिक वर्णन : सुडोल बंधा, सतेज कांती, भरीव गाल, आंखो कि पालक काली व छल्लेदार होती है। केशभुषा व वेशभूषा फ़शन के हिसाब् से बदलती रेह्ती है। पुरुष वर्ग दिखने मे अच्हे होते है व स्त्रियो को साज सज्जा मे रुचि होती है।

कार्यक्षेत्र : अभिनय, संगीत,नृत्य, कला, वाणिज्य एवं कला शाखा, फ़शन डिजाइनर, ब्युटि परलर, ऐर होसटेस, इमिटेशन ज्वेलरि, बेंक, मोडलिंग, अर्थशाखा, परफ़युम् इत्यादि।

शरीर पर सत्ता : गला, गले का अन्तरिक् भाग,स्वर् यन्त्र , श्वास् नालिका का उपरी भाग, अन्न नलिकेचा उपरि भाग, टोंसिल्स व थायरोइड ग्रंथि।

राशियो कि जानकारी आप सभी के समक्ष रखने का एकमेव कारण कि आप इस जानकारी से अपने जीवन को लाभ पहुचा सकते है। क्योकि कारण यह है जैसा की हमने पहले के लेखो मे देखा कि तत्व हम पर गेहरी छाप छोड्ते है उसी प्रकार जब् पंचमहाभूत, तीनो तत्व,स्वभाव् और राशि जब् इन सबकी जानकारी मोटे तोर पे आपको ज्ञात होगी तो सोचिये लोगों को पहिचानना उन्हे सही तरिके से जोड्ना या जुडना कितना आसान हो जायेगा। आप आजमा के देखते जाइये। निश्चित अगर लाभ भले ही ना हो (जो कि जरुर होगा) लेकिन हानि भी नही हो सकती। इसी के साथ् हम आगे ये भी देखेंगे कि कोन कोन सी राशि आपस मे मित्रता, शत्रुता व संमित्रता का व्यवहार रखती है जिस से कि आप वर्गीकरन करने मे सक्षम हो सकते है। इसका पहला फ़ायदा ये कि आप ढोंगी पाखण्डी ज्योतिषो से जो अधुरा ज्ञान लिये लोगों को भ्रमित करते है उनसे बच जायेंगे।

 अगले लेख मे अगली राशि

सरिता कुलकर्णी

Sunday, January 20, 2013

राशि शृंखला - मेष राशि / भाग २

राशि शृंखला - मेष राशि / भाग २

राशि शृंखला मे हम रशियो कि संक्षिप्त जानकारी लेते जायेंगे। एक बात मे आपको बता दु कि केवल राशि ही सब् कुछः नही होती क्योकि ज्योतिष मे एक छत्र अधिकार किसी का नही। ज्योतिष मे राशि, ग्रह, योग, विविध दशा विचार, गोचर ग्रह और भी कई अंगो का विचार कर अध्ययन किया जाता है। सो केवल राशि पता लग जाने से सब् साध्य ऐसा बिल्कुल नही। हां रशिया आपको कम से कम पेह्चान ने कि क्षमता देती है जिस से आप व्यर्थ कि मानसिक दुविधाओ और परेशानियो से बच सकते है।

मेष राशि : - मेष राशि अग्नितत्व कि पुरुष राशि चर राशि है।
मेष राशि का स्वामी मंगल ग्रह है. ग्रहो के बारे मे हम क्रमश जानेंगे आगे।
मेष राशि का बोध चिन्हः मेंढा है ;
अक्षर : अ ल इ

मेष राशि कि व्यक्ति अति क्रियाशील, अक्रामक, रूक्ष, व्यव्हारवादी, गणिति, स्व विचार करने वाले, व्यावहारिक वृत्ति के होते है। इनकी एक जबर्दस्त बात ये है कि किसी भी परिस्थिति का सामना ये बडी देलेरी के साथ् करते है। प्रत्येक बात का हिसाब् रखने वाले ये मेष राशि के व्यक्ति बहुत् व्यवहारि होते है। इनकी एक आदत आपको बता दु इन्हे डायरि लिखना, केलेंडर पर दुध्, पेपर, गेस बिल इन सभी का हिसाब् एक जगह् लिख कर रखना बहुत् पसंद है। ऐसे रिकोर्ड बना कर रखना इन्हे बहुत् अच्हा लगता है। हमेशा किसी न किसी हिसाब् करने मे लगे रेह्ते है। मेष राशि के व्यक्ति कभी किसी व्यसन के गुलाम नही होते । श्रद्धा और भावना के भी कोसो दूर रेह्ते है या होते भी है तो दर्शाते नही। जैसे को तैस इन्हे खुब् जमता है। मेष राशि के व्यक्तियो कि बुद्धि अतितीक्ष्ण और तीव्र होती है। ये कोइ भी चीज बडे सुसंगत नियमपूर्वक रूप से कर सकते है। ये व्यक्ति अति स्पष्टवादी और व्यवहारपूर्ण वर्तन करते है।

दूसरो से बर्ताव करते वक्त् ये बहुत् सतर्क, हुष्यार व बुद्धिपूर्ण रेह्ते है। आपने मतों पर अडिग रेहना कोइ इनसे सीखे। जिस तरह् ये आपने विचारो पर अडिग रेह्ते है उसी प्रकार इन्हे दूसरो का पक्ष पलटाना बहुत् ही अच्हे तरिके से जमता है। ये व्यक्ति इस प्रकार के होते है कि किसी के प्रभाव मे आते नही लेकिन सब् पर अपना प्रभाव छोडे बिन रेह्ते भी नही। मेष राशि के व्यक्ति महत्वाकांक्षी, धाडसी, बुद्धिमान, मेहनती होते है। ये एक तो किसी कि सुनते नही और सुन भी ले तो करते अपनी ही है। निर्णय लेने मे बहुत् कम समय लगता है त्वरित निर्णय ले लेते है। कोइ भी कार्य बजाये किसी और के खुद ही करने मे यकीन करते है। सवावलम्बी होने के साथ् साथ् बाह्य जगत मे रामने वाले होते है। प्रत्येक कार्य का नियोजन बहुत् सावधानी से उत्तम प्रकार से करते है। वैसे मेष राशि का ताप मस्तिष्क मे होता है इसलिये इन्हे रोष भी बहुत् जल्दी आता है।

शारीरिक वर्णन : अब हम जानेंगे मेष राशि के व्यक्ति दिखने मे कैसे होते है ताकि आप सभी लोग अपने आस पास मित्र मंडली मे या कार्यक्षेत्र मे इन्हे सही रुप से जान समझ कर आपने लिये अनुकूल वातावरान कि निर्मिति कर सके। यहा विस्तार से तो नही परन्तु मोटे तोर पे आप अंदाज बांध ही सकते है। बाकी विस्तृत तो हम आने वाले लेखो मे पढेगें ही। मध्यम कद, दुबला पतला कंधा, विशेष कर इनकी केश भूषा विशिष्ट प्रकार कि होती है। इन्हे खेल कि रुचि होती है। ऐसे खेल जिसमे शारीरक ताकत का इस्तेमाल् ज्यादा हो। एक और विशेष बात ये लिखते वक्त् तर्जनी का उपयोग ज्यादा जोर से करते है।

कार्यक्षेत्र : अब देखते है कि कार्यक्षेत्र कि पेह्चान कैसे हो । पोलिस् खाता, लश्कर विभाग, वैमानिक विभाग, भट्टि के पास कार्य करने वाले, बुद्धिमत्ता के क्षेत्र मे कार्य करने वाले, गणिती क्षेत्र मे, लायब्ररि मे, वाणिज्य विभाग, डोक्टर, इन्जिनीयर इत्यादि। इस जानकारी से आप आपने से उपर, नीचे या साथ् काम करने वालो को अपने आप के लिये अनुकूल बानाने मे सक्षम हो सकते है।

शरीर पर सत्ता : मेष राशि कि सत्ता मस्तिष्क, आंख, चेहरे के स्नायु, सर।

अभि हमने जाना कि राशि स्वतह् कैसे कार्य करती है लेकिन कुण्डली मे विविध स्थानो पर पडने पर ये कैसे अलग अलग फ़लिते प्रदान करती है आगे आने वाले लेखो मे राशि शृंखला के बाद जानेंगे।सद्गुरुदेव जी ने ज्योतिष पर इतने रहस्य उजागर किये है कि आप क्या और कितना याद रखे ये स्थिति बन जाती है। लेकिन उन्होने कठिन से कठिन तथ्यो को इतनी सरल भाषा मे प्रस्तुत कर दिया है कि हम जैसे लोगों के लिये ज्योतिष का अभ्यास बहुत् ही सरल हो गया है।

पुनः आपके समक्ष अगली राशि अगले लेख मे।

सरिता कुलकर्णी




Saturday, January 5, 2013

राशी शृंखला

* राशी शृंखला भाग १

 एक विशेष जानकारी मे आपके समक्ष रखना चाहुंगी पिछले दिये गये लेखों के बारे मे.... ज्योतिष पर दी गयी जानकारी का हेतु केवल इतना है कि किसी भी रूप मे ये जानकारी आपके दैनिक जीवन मे आपको लाभ पाहुचां सके। क्योकि समस्यायें अगर है तो उनका हल भी मौजुद् है बस्स हमे अपनी इन्द्रियों को सशक्त करने की देरी है। जिससे हम हमारे आस पास बिखरे हुए ज्ञान प्रवाह् को आत्मसात सही रूप से कर अपना जीवन सौभाग्यशाली और समृद्ध सके ।

आरंभिक समय मे आप लोगों के समक्ष केवल प्रस्ताविक जानकारी उप्लब्ध करायि जो सरलता से बोधप्रद हो। आगे इन्ही सब् विषयो के बार मे विस्तार से कभी आने वाले लेखों मे आप पढ सकेंगे। हमने पंच तत्वो के बारे मे थोडा जाना। किस प्रकार ये तत्व कार्य करते है हमारे लिये ? किस प्रकार हम इन तत्वो कि मदद से लोगो को पेहचान सकते है ? कैसे इन तत्वो का हम आपने शरीर मे संतुलन स्थापित कर सुचारु रूप से अपनी कार्यक्षमता को बढा सकते है? इत्यादि प्रकार के प्रश्नो के उत्तर आप निश्चित आगे आने वाले लेखो मे पा सकेंगे।

खैर,अब आगे बढते है हमने देखा कि ज्योतिष मे 'पंच महाभूतों' का अस्तित्व प्रमुख माना गया है। हमने देखा कि किस प्रकार इन तत्वो का मनुष्य जीवन मे प्रभाव पडता है या यु कहे कि किस किस प्रकार के तत्व मनुष्यो मे पाये जाते है जिस से हम मनुष्यो को सहज रूप से श्रेणीबद्ध कर देते है। उदाह्रण जैसे - हम बहुत् बार केह् देते है बातों बातों मे अरे फ़ला जरा गुस्सेल है.., या जरा सुस्त अल्सीराम है..., या कभी हम यु केह् देते है पेहली बार ही किसी से मिलने पर कि, वाह् क्या बात है - इस बंदे मे जरुर कुछः है निश्चित आगे बढेगा या इत्यादि....

जाने अनजाने मे हम कितनो के लिये कुछः न कुछः केह् देते है या मन ही मन सोच लेते है ।हमारा सूक्ष्म मन हमे इस तरह् के निष्कर्शों को निकालने मे बाध्य कर देता है और हम बाह्य रूप से आचरन विचरन करते रेह्ते है। वैसे तो निरीक्षन करना या आस पास कि हलचल को देखना या मेहसुस कर समझना मनुष्य के स्वभाव मे है। बस फ़र्क इतना है कि कई व्यक्ति इस समज़् को मेहत्ता देते है और बाकी अनदेखा कर देते hai। इस प्रकृति के आन्तरिक रहस्य को हम कुछः हद तक समझते है और जहां ये रहस्य हमारी समझ के बाहर हो जाये तो वहीं छोड्के आगे बढ जाते है हमारी ये निरीक्षन शक्ति ही हमे लोगों से दूरीयां या नजदीकीयां निर्मान करने मे मदद करती है। इसके बारे मे गेहेन्ता से कभी और चर्चा करेंगे। खैर, हम बात कर रहे है ज्योतिष की। इस रहस्य को जानने के बाद अब हम आगे बढते है "राशी शृंखला" की ओर। राशीयों का परिचय आरम्भ् करने के पेहले ये जानना जरुरी है कि राशि क्या होती है? ज्योतिष मे इसका क्या स्थान है? और कैसे हम अपने आसपास के लोगों को सही रूप से जान पाने मे इस ज्योतिष विज्ञान का सदुपयोग कर सकते है।

कुण्डली मे चन्द्र जिस स्थान पर विद्यमान होते है वो जातक कि जन्म राशि केह्लायी जाती है। जन्म के समय चन्द्र जिस नक्षत्र मे होते है वह जन्म नक्षत्र होता है। क्रान्तिवृत्त के १२ समान भाग करने पर १२ राशिया तयार होती है। क्रान्तिवृत्त ३६० अंश का होता है सो इसके १२ समान भाग अर्थात ३० अंश के हुए। जातक के जन्म समय पर चन्द्र जिस राशि मे भ्रमन कर रहे होते है वो उसकी जन्म राशि हुइ और जो बिन्दु पूर्व क्षितिज पर उदित होता है वह जन्म लग्न हुआ। जन्म लग्न या जन्म राशि पर विस्तृत जानकारी क्रमशः अगले लेखो मे हम देखेंगे। ह्मम तो हम बात कर रहे थे जातक का जन्म लग्न अर्थात जन्म राशि जातक कि प्रव्रत्ति है तो दुसरी ओर चन्द्र राशि उसकी मनोवृत्ति। मनोवृत्ति मे बदलाव लाया जा सकता है क्योंकि वह मन से सम्बन्धित होती है लेकिन प्रव्रत्ति मूलभूत पिण्ड जो बदलता नही। चन्द्र जिस राशि मे होते है या जिस राशि मे से भ्रमन करते है उस राशि के तत्वानुसार उसके गुन्धर्मानुसार फ़लित् प्रदान करते है।

१२ राशियां इस प्रकार है –

मेष , वृषभ, मिथुन
कर्क, सिन्ह्, कन्या
तुला, वृश्चिक, धनु
मकर, कुम्भ, मीन
अगले लेख मे हम इन राशियो को क्रमशः पढते जायेंगे और साथ् ही साथ् उनसे जुडे हुए विविध तथ्य जैसे रशियो के रत्न, उनका शारीरिक वर्णन, उनका कार्यक्षेत्र, रोग अनुसार शारीरिक सत्ता इत्यादि।


सरिता कुलकर्णी



Nakshtra Jyotish

Understanding Gandanta differently

My Observation and Interpretation of GANDANTA POINT These observations are based on Lunar Nakshtra transit.. The excercise still in pro...