This Blog is about Jyotish Basics, Nakshatra Jyotish, Vastu Vigyan, Ank Vigyan, Hastarekha Vigyan. This blog contain the real jyotish material meaning self experienced. By observational Methodology which is based on all the planetary and Moon transits of each nakshatra in whole month. After researching on only such events which have repeated pattern then tested with dictums collected from Jyotish classics Text.
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Tuesday, March 5, 2013
राशी शृंखला - सिंह राशी / भाग 6
राशी शृंखला - सिंह राशी / भाग ६
सिंह राशी अग्नि तत्व की पुरुष राशी है।
स्थिर राशि।
बोध चिन्ह : सिंह
राशी स्वामि : रवि
अक्षर : म ल ट
सिंह का सीधा सादा ताथ्पर्य 'वनराज'। ठीक शेर सी इनकी प्रव्रत्ति इस प्रकार के जातको मे पायी जाती है। जिनकी सिंह राशी प्रधान होती होती है वे अत्यन्त गरम स्वभाव् के होते है ' क्षणे रुष्टा क्षणे तुष्ट' वाक्य इनके जीवन पर पूर्ण रूप से लागू होता है। अपने देखा होगा की किस प्रकार इस राशि के जातक कायदे से बंधे हुए होते, शिस्त प्रिय, कडक, न्यायप्रिय होते है।
कायदे के चौखट मे रेहकर नियम पालन कर्ता होते है। इनकी तो ये भी अपेक्षा होती है की दुसरे भी उन नियमो को पालन करे। इन्हे इनकी मर्यादा रेखा भली प्रकार से पता होती है। नही वो तत्व संभालकर रखेन वाले सिंह राशी के जातक बडे ही रूक्ष, कायम अक्रामक स्वरुप् धारण किये होते है। आप देखेंगे की ये हमेशा नियम कानून की उन्ग्ली पकद के चलते है। सो लोगो मे ये अप्रिय से हो जाते है। क्यो की हमेशा नियम कानून हार कोइ नही चल सकता।
मेष राशी की आक्रामकता या व्याव्हारिक्ता उनके फ़ायदे के लिये होती है तो सिंह तत्वो के लिये होती है। अत्यन्त कडी गरदन से जगने वाले ये सिंह राशी के व्यक्ति आती तत्वनिष्ठ होते है किसी के आगे झुकने की इन्मे वृत्ति नही होती लेकिन अपने सामने झुके या हमारी सुने ऐसी अपेक्षा जरुर होती है। आप देखेंगे अक्सर हमारे वरिष्ट अधिकतर ऐसे ही होते है जिन्हे अपनी स्तुति सुनना तो बेहद पसंद होता है लेकिन किसी और की स्तुति करना बनता नही। लेकिन यदि किसी की स्तुति गर ये कर दे तो उसे दिल से स्वीकर् करते है।
सिंह जातक कर्तव्यदक्ष, उदार व निष्टावान होते है।ये झुट का सहारा कतैइ नही लेते और ठिक वैसे ही बर्दष्ट भी नही करते। आप देखेंगे ये व्यक्ति प्रचण्ड् ओपचारिक होते है। इनकी जीवन्शक्ति उत्तम होती है।वैसे स्वयम् मे ये जातक आलसी या सुस्त होते है । कुचः इस प्रकार की वृत्ति होती की जब् तक सिर पर कोइ काम आकार न पड जाये ये उसके लिये सोचते ही नही। "आज का काम कल" या 'यो तो हो ही जायेगा" जैसे सिद्द्धन्त इन पर सुसज्जित होते है। दूसरो पर ये आती विश्वास करते है लेकिन उन संशय की दृष्टि भी रखते है। इसलिये चौकन्ना रेहने का इनका स्वभाव् होता है।
सद्गुरुदेव लिखित एक और तथ्य ये है की जिसे जीवन मे ये अपना लेते है, उसके प्रति पुरे ईमान्दार् रहते है तथा मित्रता के नाम पर अपना सर्वस्व तक अर्पन करने को तयार हो जाते है। फिर भी सहज ही इन के वचनो पर विशवास नही किया जा सकता। धार्मिक रुढियो को ये दृढता से मानते है और उन पर गेह्रि आस्था भी रखते है।
'मान सागरि' मे इनके बारे मे कहा गया है की --
सिंह लज्ञोदये जातो भोगी शत्रु विमर्दकः।
स्वल्पोदरोल्प पुत्रश्च सोत्साहो रण विक्रमी।।
अर्थात जिस जातक मे सिंह तत्व प्रधान होता है वह शत्रुओ का मर्दन करने वाले होते है, प्रबल भोगी, उदर छोटा, अल्प संतति, उत्साः के साथ् रण मे पराक्रम दिखाने वाला होता है।
ना ये अन्याय सहन करते है ना करने देते है।
शारीरिक वर्णन: आप देखेंगे सिंह राशी के व्यक्ति मध्यम कद लिये हुए, मजबुत बाहु, चेहरे पर विशिष्ट तेज, थोडी सतेज या रूक्ष कान्ती हो सकती है। ऐसे व्यक्ति स्वस्थ शरीर एवं सुदृढ व्यक्तिवा के होते है। इन्मे चुम्बकीय अकार्षण होता है जिस की वजह् से इनके मित्र जल्दी बन जाते है। गेहरी नीली या काली आंखे, भोहो पर घने बाल, घुंगराली केश राशि।
कार्यक्षेत्र :- अब हम देखते है की सिंह राशि के व्यक्तियो के लिये कार्यक्षेत्र - आरोग्य विशेषक, पेरा मेडिकल , तेक्नीशियन, राजकारन, समाजकारन, स्वतन्त्र व्यवसाय, इनजिनीयर, विज्ञान शाखा, प्रबंधन, पोलिस, सेना, सरकारी अधिकारी, थानेदार, सुप्रिटेंडेंट पोलिस विभाग मे, मेजर, कर्नल, संशयालु प्रव्रत्ति होने की वजह् से सफ़ल् गुप्तचार, गुरु कारक होने पर दार्शनिक भी होते है, लेक्चरर, प्रोफ़ेसर् इत्यादि।
शरीर पर सत्ता : आरोग्य के द्रिष्टिकोन से सिंह राशि का प्रभाव हृदय, पीठ, पेट का दहिना भाग, स्त्री की गर्भधारन क्षमता।
सिंह राशि का अधिपति रवि होने की वजह् से रत्न माणिक है। इसे धारण किया जा सकता है लेकिन रत्नो के मामलो मे बहुत् सतर्कता से सावधानी से निर्णय लेना चाहिये। ऐसा जरुरी नही की जो निर्धारित रत्न ग्रहो और राशियो के है वो उठा के पेहेन लिये। ऐसी गलती कभी ना करे। क्यो की रत्नो का प्रभाव निश्चित और अचूक है बशर्ते वह प्रमाणित हो लेकिन सिर्फ़ यहि तथ्य धारण करने के लिये काफ़ि नही। कुण्डली मे कोन्से ग्रह की स्थिति कैसी है, दशा विचार और कुण्डली का गहन अध्ययन की आवश्यकता है। हम ग्रहो की, रत्नो की, उप्रत्नों की विस्तृत जानकारी आगे आने वाले लेखो मे लेंगे। सिंह राशि के जातको को लाल रंग के वस्त्र धारन करने चाहिये। ये इनके लिये अनुकूल है। हम आने वाले लेखो मे एक नयी कडी "ज्योतिष और तन्त्र " देखेंगे जिसमे कैसे हमारे आस पास विचरन करने वाली राशि रुपी व्यक्ति कैसे हमारे लिये अनुकूल हो सकते है और बहुत् कुछ। ऐसी कोइ विधा या ज्ञान नही जो सद्गुरुदेव जि से अछुता रहा हो। समय समय पर इसी ज्ञान रुपी गंगा को आपके समक्ष राखति जाऊगीं।
सो अगली राशि अगले लेख मे नये रहस्यो के साथ्.....
सरिता कुलकर्णी
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