किराए का मकान और वास्तु दोष – ३
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जिस प्रकार अब तक हमने ये जानकारी ली की किराए के मकान को भी स्वयं के अनुकूल बनाया जा सकता है. कोई भी स्वेच्छा से किराए के मकान में तो रहना नहीं पसंद करता परन्तु अगर घर का वातावरण सुखद, शुद्ध, प्रेममय प्रसन्न हो तो किराए वाली बात भी गौण हो जाती है.
इन सभी बातो का साधना जीवन में भी तो उतना ही महत्व है..क्युकी किसी भी साधना को करने के लिए सुदृढ़ मानसिक स्थिति, मानसिक बल सकारात्मक वातावरण की अत्यंत आवश्यकता होती है. विगत लेखो में बताई छोटी छोटी सी सुधारणा हमारे मानस को अनुकूल बनाने में सहायक साबित होती है.. इसलिए इन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.
अब बात करते है चित्र व तस्वीर की, देवी देवताओं के चित्र पूर्व-उत्तर दीवार पर ही लगाए. साथ ही संतो, झरनों, समुद्र, नदियों आदि को भी तस्वीर इसी दिशा में लगाये. मृतक संबंधियो के चित्र दक्षिणी दीवार पर लगाये. उनके चित्र याँ तस्वीरे पूजा कक्ष में ना रखे.
ऐसे चित्र जो हिंसा, रोग, मृत्यु आदि दर्शाते हो तो उन्हें लगाने से बचे. दक्षिणी व पश्चिमी दीवारों पर भारी चीजों के चित्र, बड़े व मोटे वृक्ष, पर्वत आदि के चित्र लगाए.
भारी फर्नीचर दक्षिण व पश्चिम दीवार से लगाकर रखे. हलके फर्नीचर उत्तर व् पूर्वी दीवारों से लगाकर रखे जा सकते है. कमरे का मध्य भाग खाली रखे.
हवा का आगमन उत्तरी तथा पूर्वी दिशाओं की खिड़कियो से होता है सो हमेशा खुली रखनी चाहिए क्युकी ये हिस्से धन एवं स्वस्थ्य के घोतक है. इन दिशाओं में हलके परदे तथा दक्षिण व पश्चिम दिशाओं में भारी परदे लागाये.
यदि घर में सिढ़ियाँ दिखाई पड़े तो यह एक प्रकार का वेध है. यहाँ पर दिशाओं के अनुरूप हलके याँ भारी फुल-पौधे लगाकर इस् प्रकार व्यवस्था करनी चाहिए की सिढ़ियाँ प्रथम द्रिती में ना आये.
घर में ध्वनि उर्जा का भी बहुत महत्व है.. घर में लगातार तेज आवाजो से बचे.. घर के सदस्यों से मधुर व धीमी आवाज में बात करे. घर के दरवाजे खिड़किया बहुत जोर से बंद ना करे.
ऊर्जा विज्ञान एक बहुत विस्तृत विषय है. वास्तु के दृष्टिकोण से ऊर्जा विज्ञान अपने आप में एक एसी कड़ी हे जिस से आप मूल दोष तक पहुच सकते है. क्युकी ग्राफ्स, डायग्राम, कोण विचार केवल लेखी रूप से समझने के लिए होते है. परन्तु वास्तु दोष को समझने के लिए आपकी इन्द्रियाँ सक्रिय होना आवश्यक है ऋणात्मक उर्जा और सकारात्मक उर्जा को केवल महसूस ही किया जा सकता है दिखाया नहीं.
हम सभी ने कभी ना कभी ऐसा महसूस किया होगा की जब कभी हम एकदम चकाचक नए बने हुए मंदिरो में जाते हे तो हम साफ़ सफाई, लोगो का हुजूम तो देख लेते हे लेकिन प्राण ऊर्जा को नहीं महसूस कर पाते वही अगर किसी जीर्ण शीर्ण मंदिर में अगर जाए तो वहा अत्यन्त तीव्र रूप से हमें प्राण ऊर्जा का प्रवाह महसूस होता ही है. लेकिन हर जगह हर बार नहीं. ये हमारे मानसिक शक्ति पर बहुत निर्भर करता है.
जब कभी कोई मेहमान हमारे घर आते है तो अपनी सकारत्मक या नकारात्मक भाव के साथ आते है और आते ही साथ कुछ मिनटों में हमारे घर का वातावरण भी कलुषित कर देते है. ऐसे में घर के मुख्य द्वार के पास ही अगर कांच के बर्तन या गिलास में निम्बू डाल कर रखे तो ऋणात्मक स्पंदनो को खिंच कर उसे बेअसर कर देने में सहायक होता है.
उसी प्रकार किसी के घर हम पहली बार जाते है तो कई प्रकार की हवा को महसूस करते है. जैसे घर में किसी का बीमार होना, आपसी मतभेदो के कारण निर्मित ऋणात्मक ऊर्जा, सतत रुदन, उदासीनता उजाडपन, मरघट वातावरण इत्यादि और ये सभी दोष हमें साधना जीवन में भी बाधक बनते है. क्युकी कभी कभी एसी उर्जाये हमारा पीछा नहीं छोडती तो घर की ऊर्जा को संजोए रखना घर के सभी सदस्यों के ही हाथ में है. ऐसे में हम निखिल कवच को शुद्ध यथोचित क्रिया के बाद उच्चार कर ऐसे व्यक्तियों से मिलने जा सकते है जिस से हम इन से बचे रहे या उनके घर आने के पहले पठन कर सुरक्षित हो सकते है क्युकी मेहमानो के जाने के बाद भी असर बना रहता ना कुछ समय.
सरिता कुलकर्णी
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