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Wednesday, September 12, 2012

Graha Mala Series : Chandra

गृह माला / भाग 1

चन्द्र गृह

शिवरात्री के पवन अवसर पर चन्द्र गृह के बारे में

चन्द्रमा एक प्रकार से काल पुरुष का ह्रदय है. ह्रदय की समस्त वृत्तियों, विकारों एवं प्रभावों का अध्ययन चन्द्रमा के द्वारा संभव है. जिस प्रकार मन चंचल है ठीक उसी प्रकार चन्द्र भी समस्त ग्रहों में सर्वाधिक चंचल एवं शीघ्रगामी है. मात्र ढाई दिन में ही राशि बदलने वाले चन्द्रमाँ के लिए कहा गया है -

                                                                               स्वक्षः प्राज्ञौ: गौरश्चपलः        
                                                                               काफ वातिको रुधिरसारः . 
                                                                               मृदुवाणी प्रिय सखास्तनु
                                                                                  व्रुत्तश्चन्द्रमाः हाशु:

अर्थात सुन्दर नेत्र वाला, बुद्धिमान, गौर वर्ण, चपल स्वाभाव, चंचल प्रकृति, काफ और वात प्रकृति प्रधान, मधुर वाणी बोलने वाले, मित्र पर न्योछावर होने वाला और दीर्घ शरीर वाला एसा चन्द्रमा होता है...
आहा रात्रि काल में चन्द्रमा को देखना कितना सुखद एहसास हे.. अपने जीवन में हर किसी ने इस एहसास को जिया होगा कभी न कभी. प्रेम का कारक चन्द्र मातृप्रेम का आविष्कार करने वाला जल तत्त्व का स्त्री गृह हे. चन्द्र ये स्नेही, कुटुंब वत्सल और चंचल हे. इस गृह में सेवाभावी वृत्ति हे. मन का कारक चन्द्र हव्यासी हे मोह, माया, आसक्ति, संसारिकता,कल्पना शक्ति का कारक हे. चन्द्र गृह बाल्यावस्था का कारक मन गया हे. आयु के ८-१० साल तक चन्द्र गृह का अमल होता हे. इसी कारण छोटे बालको की कुंडली में चन्द्र महत्त्वपूर्ण माना गया हे. चन्द्र सुख दुःख, हव्यास समाधान, मनः शांती इनका करक है. इसी कारान चन्द्र गृह से ही जातक या व्यक्ति की तृप्तता व निद्रा निर्भर करती है.

मनुष्यों में रमने वाला चन्द्र रिश्तो को संभालना और उसे अंतिम तक निभाने की प्रेरणा देता हे. क्युकी मन चन्द्र के अंतर्गत आता हे... चन्द्र केवल अपने निकट व्यक्तियों पर स्नेह करते हे, अपने ही मनोराज्य में रमने वाले उत्तम कल्पना शक्ति दायक होते हे. उनका अपना अलग ही विश्व होता हे चन्द्र प्रधान व्यक्ति अपने ही धुन में रहते हे और इसी कारण इन्हें वास्तविक का आभास कम होता हे. अपने ही धुन में रहने के कारण वास्तिविकता का बोध कम होता है और परिपक्वता भी कम होती है. इसी कारण बच्चो में ज्यादा रम जाते हे. मात्रु सुख का कारक चन्द्र से माता का विचार किया जाता है.

पाकगृह में रमने वाले चन्द्र गृह जो स्त्री तत्त्व प्रधान है उन्हें खानेपीने की, खाद्यपदार्थ बनाने की और दुसरो खिलाने की अभिरुचि होती है. स्थितिया हो न हो लेकिन आवभगत से चूकते नहीं. चन्द्र ग्रह वास्तु का, रहते घर का कारक है. इसीलिए वास्तु योग में ये महत्वपूर्ण साबित होते है. चन्द्र गृह जलीय पदार्थ, जलाशय इनका कारक है. इसी कारण जल के छोटे कूपक, तालाब, टंकिया, दूध, दुग्ध्जन्य पदार्थ, जलाशय पर अमल रखते है. चन्द्र वनस्पति का भी कारक है. इसीलिए आयुर्वेद का भी कारक हुआ. जडीबुटीया भी तो कितनी नाजुक होती हे ठीक हमारे मन की तरह..है न..इसीलिए भी चन्द्र का अमल होता है. बाग़ बगीचे, खेती भी चन्द्र पर से देखि जाती हे कुंडली में. जितनी भी नाशवंती चीजे हे जैसे सब्जीया, फल, फुल, पका हुआ अन्ना सब इन्ही के अमल में आता हे.

शरीरशास्त्र अनुसार चन्द्र मन और इच्छाशक्ति का कारक है. साधनाओ में भाव का कारक भी मन ही तो है. फिर चाहे वो मंत्र साधना हो या तंत्र साधना. स्त्रीयों का मासिक धर्मं, उनसे सम्बंधित सभी विकार चन्द्र के अंतर्गत आते है. रक्त का कारक होने के कारण हीमोग्लोबिन का कम होना, त्वचाविकार, किडनी विकार, मूत्र विकार, पाचन संस्था, मानसिक विकार ये सभी चन्द्र के क्षेत्र में आते है. आरोग्य का विचार करते हुए चन्द्र नेत्र के कारक है. नेत्र दोष, अंधापन, चश्मा लगना ये सब इन्ही के अंतर्गत आते हे.

चन्द्र का बीज गुण है - "मन" और "बोध"
अंकशास्त्र अनुसार अंक - २
रत्ना - मोती
धातु - चांदी
रंग - सफ़ेद, नारंगी
त्रिदोष - वात कफ कारक
स्व राशी - कर्क
नीच राशि - वृश्चिक
उच्च राशि - वृषभ
मित्र गृह - रवि, गुरु, मंगल
सम मित्र गृह - शुक्र, बुध, शनि
शत्रु गृह - रहू, केतु

प्रेम के बीज का प्रस्फुरण करने वाले चन्द्रमा बहुत ही शीतल गृह हे जो आँखों में शीतलता प्रदान करते हे और ह्रदय में प्रेम जगाने वाले है....

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