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Sunday, January 20, 2013

राशि शृंखला - मेष राशि / भाग २

राशि शृंखला - मेष राशि / भाग २

राशि शृंखला मे हम रशियो कि संक्षिप्त जानकारी लेते जायेंगे। एक बात मे आपको बता दु कि केवल राशि ही सब् कुछः नही होती क्योकि ज्योतिष मे एक छत्र अधिकार किसी का नही। ज्योतिष मे राशि, ग्रह, योग, विविध दशा विचार, गोचर ग्रह और भी कई अंगो का विचार कर अध्ययन किया जाता है। सो केवल राशि पता लग जाने से सब् साध्य ऐसा बिल्कुल नही। हां रशिया आपको कम से कम पेह्चान ने कि क्षमता देती है जिस से आप व्यर्थ कि मानसिक दुविधाओ और परेशानियो से बच सकते है।

मेष राशि : - मेष राशि अग्नितत्व कि पुरुष राशि चर राशि है।
मेष राशि का स्वामी मंगल ग्रह है. ग्रहो के बारे मे हम क्रमश जानेंगे आगे।
मेष राशि का बोध चिन्हः मेंढा है ;
अक्षर : अ ल इ

मेष राशि कि व्यक्ति अति क्रियाशील, अक्रामक, रूक्ष, व्यव्हारवादी, गणिति, स्व विचार करने वाले, व्यावहारिक वृत्ति के होते है। इनकी एक जबर्दस्त बात ये है कि किसी भी परिस्थिति का सामना ये बडी देलेरी के साथ् करते है। प्रत्येक बात का हिसाब् रखने वाले ये मेष राशि के व्यक्ति बहुत् व्यवहारि होते है। इनकी एक आदत आपको बता दु इन्हे डायरि लिखना, केलेंडर पर दुध्, पेपर, गेस बिल इन सभी का हिसाब् एक जगह् लिख कर रखना बहुत् पसंद है। ऐसे रिकोर्ड बना कर रखना इन्हे बहुत् अच्हा लगता है। हमेशा किसी न किसी हिसाब् करने मे लगे रेह्ते है। मेष राशि के व्यक्ति कभी किसी व्यसन के गुलाम नही होते । श्रद्धा और भावना के भी कोसो दूर रेह्ते है या होते भी है तो दर्शाते नही। जैसे को तैस इन्हे खुब् जमता है। मेष राशि के व्यक्तियो कि बुद्धि अतितीक्ष्ण और तीव्र होती है। ये कोइ भी चीज बडे सुसंगत नियमपूर्वक रूप से कर सकते है। ये व्यक्ति अति स्पष्टवादी और व्यवहारपूर्ण वर्तन करते है।

दूसरो से बर्ताव करते वक्त् ये बहुत् सतर्क, हुष्यार व बुद्धिपूर्ण रेह्ते है। आपने मतों पर अडिग रेहना कोइ इनसे सीखे। जिस तरह् ये आपने विचारो पर अडिग रेह्ते है उसी प्रकार इन्हे दूसरो का पक्ष पलटाना बहुत् ही अच्हे तरिके से जमता है। ये व्यक्ति इस प्रकार के होते है कि किसी के प्रभाव मे आते नही लेकिन सब् पर अपना प्रभाव छोडे बिन रेह्ते भी नही। मेष राशि के व्यक्ति महत्वाकांक्षी, धाडसी, बुद्धिमान, मेहनती होते है। ये एक तो किसी कि सुनते नही और सुन भी ले तो करते अपनी ही है। निर्णय लेने मे बहुत् कम समय लगता है त्वरित निर्णय ले लेते है। कोइ भी कार्य बजाये किसी और के खुद ही करने मे यकीन करते है। सवावलम्बी होने के साथ् साथ् बाह्य जगत मे रामने वाले होते है। प्रत्येक कार्य का नियोजन बहुत् सावधानी से उत्तम प्रकार से करते है। वैसे मेष राशि का ताप मस्तिष्क मे होता है इसलिये इन्हे रोष भी बहुत् जल्दी आता है।

शारीरिक वर्णन : अब हम जानेंगे मेष राशि के व्यक्ति दिखने मे कैसे होते है ताकि आप सभी लोग अपने आस पास मित्र मंडली मे या कार्यक्षेत्र मे इन्हे सही रुप से जान समझ कर आपने लिये अनुकूल वातावरान कि निर्मिति कर सके। यहा विस्तार से तो नही परन्तु मोटे तोर पे आप अंदाज बांध ही सकते है। बाकी विस्तृत तो हम आने वाले लेखो मे पढेगें ही। मध्यम कद, दुबला पतला कंधा, विशेष कर इनकी केश भूषा विशिष्ट प्रकार कि होती है। इन्हे खेल कि रुचि होती है। ऐसे खेल जिसमे शारीरक ताकत का इस्तेमाल् ज्यादा हो। एक और विशेष बात ये लिखते वक्त् तर्जनी का उपयोग ज्यादा जोर से करते है।

कार्यक्षेत्र : अब देखते है कि कार्यक्षेत्र कि पेह्चान कैसे हो । पोलिस् खाता, लश्कर विभाग, वैमानिक विभाग, भट्टि के पास कार्य करने वाले, बुद्धिमत्ता के क्षेत्र मे कार्य करने वाले, गणिती क्षेत्र मे, लायब्ररि मे, वाणिज्य विभाग, डोक्टर, इन्जिनीयर इत्यादि। इस जानकारी से आप आपने से उपर, नीचे या साथ् काम करने वालो को अपने आप के लिये अनुकूल बानाने मे सक्षम हो सकते है।

शरीर पर सत्ता : मेष राशि कि सत्ता मस्तिष्क, आंख, चेहरे के स्नायु, सर।

अभि हमने जाना कि राशि स्वतह् कैसे कार्य करती है लेकिन कुण्डली मे विविध स्थानो पर पडने पर ये कैसे अलग अलग फ़लिते प्रदान करती है आगे आने वाले लेखो मे राशि शृंखला के बाद जानेंगे।सद्गुरुदेव जी ने ज्योतिष पर इतने रहस्य उजागर किये है कि आप क्या और कितना याद रखे ये स्थिति बन जाती है। लेकिन उन्होने कठिन से कठिन तथ्यो को इतनी सरल भाषा मे प्रस्तुत कर दिया है कि हम जैसे लोगों के लिये ज्योतिष का अभ्यास बहुत् ही सरल हो गया है।

पुनः आपके समक्ष अगली राशि अगले लेख मे।

सरिता कुलकर्णी




Saturday, January 5, 2013

राशी शृंखला

* राशी शृंखला भाग १

 एक विशेष जानकारी मे आपके समक्ष रखना चाहुंगी पिछले दिये गये लेखों के बारे मे.... ज्योतिष पर दी गयी जानकारी का हेतु केवल इतना है कि किसी भी रूप मे ये जानकारी आपके दैनिक जीवन मे आपको लाभ पाहुचां सके। क्योकि समस्यायें अगर है तो उनका हल भी मौजुद् है बस्स हमे अपनी इन्द्रियों को सशक्त करने की देरी है। जिससे हम हमारे आस पास बिखरे हुए ज्ञान प्रवाह् को आत्मसात सही रूप से कर अपना जीवन सौभाग्यशाली और समृद्ध सके ।

आरंभिक समय मे आप लोगों के समक्ष केवल प्रस्ताविक जानकारी उप्लब्ध करायि जो सरलता से बोधप्रद हो। आगे इन्ही सब् विषयो के बार मे विस्तार से कभी आने वाले लेखों मे आप पढ सकेंगे। हमने पंच तत्वो के बारे मे थोडा जाना। किस प्रकार ये तत्व कार्य करते है हमारे लिये ? किस प्रकार हम इन तत्वो कि मदद से लोगो को पेहचान सकते है ? कैसे इन तत्वो का हम आपने शरीर मे संतुलन स्थापित कर सुचारु रूप से अपनी कार्यक्षमता को बढा सकते है? इत्यादि प्रकार के प्रश्नो के उत्तर आप निश्चित आगे आने वाले लेखो मे पा सकेंगे।

खैर,अब आगे बढते है हमने देखा कि ज्योतिष मे 'पंच महाभूतों' का अस्तित्व प्रमुख माना गया है। हमने देखा कि किस प्रकार इन तत्वो का मनुष्य जीवन मे प्रभाव पडता है या यु कहे कि किस किस प्रकार के तत्व मनुष्यो मे पाये जाते है जिस से हम मनुष्यो को सहज रूप से श्रेणीबद्ध कर देते है। उदाह्रण जैसे - हम बहुत् बार केह् देते है बातों बातों मे अरे फ़ला जरा गुस्सेल है.., या जरा सुस्त अल्सीराम है..., या कभी हम यु केह् देते है पेहली बार ही किसी से मिलने पर कि, वाह् क्या बात है - इस बंदे मे जरुर कुछः है निश्चित आगे बढेगा या इत्यादि....

जाने अनजाने मे हम कितनो के लिये कुछः न कुछः केह् देते है या मन ही मन सोच लेते है ।हमारा सूक्ष्म मन हमे इस तरह् के निष्कर्शों को निकालने मे बाध्य कर देता है और हम बाह्य रूप से आचरन विचरन करते रेह्ते है। वैसे तो निरीक्षन करना या आस पास कि हलचल को देखना या मेहसुस कर समझना मनुष्य के स्वभाव मे है। बस फ़र्क इतना है कि कई व्यक्ति इस समज़् को मेहत्ता देते है और बाकी अनदेखा कर देते hai। इस प्रकृति के आन्तरिक रहस्य को हम कुछः हद तक समझते है और जहां ये रहस्य हमारी समझ के बाहर हो जाये तो वहीं छोड्के आगे बढ जाते है हमारी ये निरीक्षन शक्ति ही हमे लोगों से दूरीयां या नजदीकीयां निर्मान करने मे मदद करती है। इसके बारे मे गेहेन्ता से कभी और चर्चा करेंगे। खैर, हम बात कर रहे है ज्योतिष की। इस रहस्य को जानने के बाद अब हम आगे बढते है "राशी शृंखला" की ओर। राशीयों का परिचय आरम्भ् करने के पेहले ये जानना जरुरी है कि राशि क्या होती है? ज्योतिष मे इसका क्या स्थान है? और कैसे हम अपने आसपास के लोगों को सही रूप से जान पाने मे इस ज्योतिष विज्ञान का सदुपयोग कर सकते है।

कुण्डली मे चन्द्र जिस स्थान पर विद्यमान होते है वो जातक कि जन्म राशि केह्लायी जाती है। जन्म के समय चन्द्र जिस नक्षत्र मे होते है वह जन्म नक्षत्र होता है। क्रान्तिवृत्त के १२ समान भाग करने पर १२ राशिया तयार होती है। क्रान्तिवृत्त ३६० अंश का होता है सो इसके १२ समान भाग अर्थात ३० अंश के हुए। जातक के जन्म समय पर चन्द्र जिस राशि मे भ्रमन कर रहे होते है वो उसकी जन्म राशि हुइ और जो बिन्दु पूर्व क्षितिज पर उदित होता है वह जन्म लग्न हुआ। जन्म लग्न या जन्म राशि पर विस्तृत जानकारी क्रमशः अगले लेखो मे हम देखेंगे। ह्मम तो हम बात कर रहे थे जातक का जन्म लग्न अर्थात जन्म राशि जातक कि प्रव्रत्ति है तो दुसरी ओर चन्द्र राशि उसकी मनोवृत्ति। मनोवृत्ति मे बदलाव लाया जा सकता है क्योंकि वह मन से सम्बन्धित होती है लेकिन प्रव्रत्ति मूलभूत पिण्ड जो बदलता नही। चन्द्र जिस राशि मे होते है या जिस राशि मे से भ्रमन करते है उस राशि के तत्वानुसार उसके गुन्धर्मानुसार फ़लित् प्रदान करते है।

१२ राशियां इस प्रकार है –

मेष , वृषभ, मिथुन
कर्क, सिन्ह्, कन्या
तुला, वृश्चिक, धनु
मकर, कुम्भ, मीन
अगले लेख मे हम इन राशियो को क्रमशः पढते जायेंगे और साथ् ही साथ् उनसे जुडे हुए विविध तथ्य जैसे रशियो के रत्न, उनका शारीरिक वर्णन, उनका कार्यक्षेत्र, रोग अनुसार शारीरिक सत्ता इत्यादि।


सरिता कुलकर्णी



Nakshtra Jyotish

Understanding Gandanta differently

My Observation and Interpretation of GANDANTA POINT These observations are based on Lunar Nakshtra transit.. The excercise still in pro...