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पिछले लेख मे हमने ये जाना कि दक्षिण दिशा का वास्तुनुसार क्या मेहेत्व और किस प्रकार कि भ्रान्तिया इस बारे मे फ़ैलि हुइ है । अब हम देखेंगे कि इस प्रकार कि त्रुटीयों का निवारन कैसे बिन तोड् फोड के, कम खर्चे मे किया जा सकता है।
1.दक्षिण मुखी भवन मे नैत्रक्त्य कोण (यानि दक्षिण पश्चिम का कोणा) मे दरवाजा होने पर अति विनाशकारी, हत्या, स्त्री कष्ट, मांगलिक कार्यो मे ब...ाधा, आर्थिक कष्ट, भयङ्कर बीमारी का सामना करना पडा है।
2.अगर संभव हो तो तुरन्त इस जगह् से दरवाजे को हटा दे। अगर हटाना संभव न हो तो मुख्य द्वार के उपर आगे पीछे दोनो तरफ़् गणेश जि कि फोटो या चित्र लगाय। दरवाजे के चौखट के नीचे चण्डी का तार लगाय। त्रिशक्ति को भी दरवाजे के दोनो तरफ़् लगा सकते है। पूजा स्थल पर रहू यन्त्र को लगाय, उसकी पूजा करे।
3.अगर दक्षिण दिशा कि तरफ़् उत्तर दिशा से ज्यादा नीचा और अधिक खुला होने पर उच्च रक्तचाप्, पाचन क्रिया मे गडबडी, चोट लगने का भय, खून कि कमी, महिलाए सदा बीमार आर्थिक कष्ट का सामना करना पडता है। इस दोष को जल्द से जल्द दूर करना ठिक रहेगा। इसके लिये दक्षिण दिशा के अन्दर ही बडे बडे भारी पेड लगाए। हो सके तो पत्थर की दीवार बनाये और उस पर लाल रंग की बेल चढायें। दक्षिण दिशा के कोने मे तांबे का झण्डा लगाये जो कि घर से सबसे ऊंचा होना चाहिये।
4.इसके अलावा दक्षिण दिशा की बाहरी दीवार तथा इस दिशा मे स्थित मुख्य दरवाजे को लाल रंग से रंगवाये। पूजा मे हनुमान जि कि उपासना तथा मंगल गृह का जाप् करे। इसके अलावा तंबा पर बने मंगल यन्त्र को दक्षिण दिशा मे स्थित मुख्य दरवाजे के दायि तरफ़् लगाये। अगर दरवाजा न हो तो दीवार पर ही लगाये।
5.अगर दक्षिण दिशा मे कुआ गड्ढा बोरिंग, दीवारों मे दरार पुराने कबाद आदि हो तो घर मे अचानक दुर्घटना, हृदय रोग, जोंडों मे दर्द, खून की कमी, पिलिया आखों की बीमारी हो सकती है। इसके लिये तुरन्त ही गड्ढो को सही करा दे।
6.अगर तुरन्त संभव न हो तो उस पर कागज लगा दे। अगर बोरिंग बंद करना संभव हो तो बोरिंग पाइप को फ़र्श के अंदर से पाइप ले जा कर के ईशान कोण कि तरफ़् पानी को निकाले। दक्षिण दिशा की तरफ़् भारी भारी पतथरो को रखवा दे।दक्षिण दिशा कि तरफ़् जमीन के अन्दर तांबे का तार लगवाना बेहतर होगा।
इसके अलावा और भी कुछः सटीक और सरल उपायो को लेकेर कल फिर एक और लेख आप ही के लिये। आज यहि पर समाप्त करती हुं ।
सरिता कुलकर्णी