निश्चय ही ज्योतिष प्रज्ञा व साधना के प्रभाव से सत्य फल कथन कहता है, लेकिन यदि उसमे सही व उचित गणितीय सूत्रों का सावधानी पूर्वक प्रयोग किया जाए तो फलित की सत्यता का % बढ़ता ही है. अब साधना पक्ष को दृढ़ बनाना सभी के लिए तो संभव नही है पर हम गणित का सही प्रयोग तो कर ही सकते है. प्राचीन काल से वर्तमान समय तक हमारा देश दिव्य विद्वानों से भरा पूरा रहा है. आज भी बहुत से ऐसे विद्वान है जिन्होने ज्योतिषीय गणित को नवीन सूत्र देकर नवीन जीवन दिया है . यदि कुंडली के द्वारा फलित बताते समय कुछ सूत्रों का ध्यान रखा जाए तो हम सही फल कथन कर सकते हैं.
1. यथा संभव कई प्रकार की दशाओं का अभ्यास करना चाहिए जिससे फल कथन मे सटीकता आ सके
2 दशा स्वामी की स्थिति का जन्म कुंडली और नवमांश कुंडली दोनो मे बारीकी से निरीक्षण करना चाहिए.
3 इसी प्रकार जन्म कुंडली के प्रत्येक अंशकाण का अवलोकन करना चाहिए: जैसे- कॅरियर के लिए दशमांश कुंडली का, संपत्ति के लिए चतुर्थांश का,संतान के लिए सप्तांश का
4.प्रत्येक घटना का तीनो वर्ग कुंडलियों से अवलोकन करना चाहिए.
5.विंसोत्तरी दशा से परिणामो के बारे मे बारीकी से जानने के लिए शुरू से ही महादशा, अंतरदशा, और प्रत्यांतर दशा,सूक्ष्म और प्राण दशा तक पहुंचे.
6.यह देखे की महादशा नाथ तथा अंतरदशा नाथ परस्पर कैसे और किस स्थिति मे हैं.यदि वे परस्पर केन्द्र या त्रिकोण मे हैं तो यह अनुकूल स्थिति है. इसी प्रकार वे 2-12 या 6-8 मे हो तो यहा स्थिति बाधाओं का ध्योतक है. पर बारीकी से ही अवलोकन करना चाहिए.
7.दशानाथ किन किन भाव का अधिपति है और उन भाव का स्वामी होने के कारण वे कैसे फल दे सकते हैं.
8.विंसोत्तरी दशा के अतिरिक्त अन्या दशा का भी प्रयोग कर के देखना चाहिए की वैसे ही परिणाम हैं या नही. जहा तक हो सके तो योगिनी दशा का प्रयोग करें. यह सरल भी है और गणना भी शीघ्र होती है.
9.इन सब परिणामो की चंद्र कुंडली से भी जाँच करना चाहिए.
10.आख़िर मे गोचर का प्रयोग करना चाहिए, तथा सर्वाष्टक का प्रयोग ज़रूर करें.
11.कई बार दो लोगो की जन्मकुंडली में समय,स्थल और तिथि सामान रहती है तब उसकी शुद्धिकरण हेतु, गर्भ कुंडली,बीज कुंडली और पद्मांश काल का प्रयोग करें, इनके प्रयोग से गणितीय ज्योतिष के द्वारा परिणाम प्राप्ति में ९०% तक सफलता पायी जा सकती है .
इस विषय पर यह चर्चा आगे भी जारी रहेगी , हमारा दायित्व है की भ्रांतियों का निवारण कर हम नवीन व सरल विचार धारा से विषय का सरलीकरण करे और लाभ उठाएँ.
सरिता कुलकर्णी